अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रकाशन लैंसेट द्वारा 18 दिसंबर 2014 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, टीबी एवं हृदय रोग से एक वर्ष (वर्ष 2014) के दौरान भारत में चार लाख युवाओं की मृत्यु हुई. इसमें 15 से 49 वर्ष के लोगों को शामिल किया गया.
अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रकाशन लैंसेट द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बीमारियों और उनसे होने वाली मौतों के आकलन के लिए वाशिंगटन विश्वविद्यालय के संयोजन में हुए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह बात सामने आई. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि, बीते वर्ष सभी आयु वर्ग में मृत्यु के कारणों में हृदय रोग, फेफड़े संबंधी रोग और लकवा सबसे ऊपर रहे. ये तीनों ही 30 फीसदी मौतों का कारण बने. सिर्फ हृदय रोग से 15.86 लाख लोगों की मौत हुई. इसी तरह 70 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में हृदय रोग सबसे बड़ा हत्यारा साबित हुआ. बच्चों में मौत का सबसे बड़ा कारण दिमागी संक्रमण (एंसेफेलोपैथी) रहा. इसकी वजह से पांच साल तक के 2.12 लाख बच्चों की जान गई. हालांकि इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1990 के दशक की शुरुआत में सबसे बड़ा खतरा रहे निमोनिया का असर अब कम हुआ है. तब के मुकाबले इससे होने वाली मौतें अब आधी रह गई हैं.
इस अध्ययन के अनुसार, भारत में पुरुषों और महिलाओं दोनों की ही औसत आयु में सुधार हुआ है. पुरुषों की औसत आयु बढ़ कर 64.2 वर्ष और महिलाओं की 68.5 वर्ष हो गई है. वर्ष 1990 के मुकाबले यह 8.6 वर्ष ज्यादा है. इस लिहाज से भारत का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है. औसत आयु में बढ़ोतरी के लिहाज से भारत दुनिया के शीर्ष 25 देशों में शामिल रहा.
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