दूरसंचार विभाग द्वारा 16 जुलाई 2015 को नेट तटस्थता पर ए के भार्गव समिति की रिपोर्ट जारी की गई. यह छह सदस्यीय समिति जनवरी 2015 में नियुक्त की गई थी.
समिति ने सुझाव दिया की नेट तटस्थता के मूल सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए. इसके अतिरिक्त समिति ने राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यवसायों के हित में अतिरिक्त सुझाव दिए.
रिपोर्ट के मुख्य सुझाव -
• वैध यातायात प्रबंधन के तरीकों की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन नेट तटस्थता के मूल सिद्धांतों के सन्दर्भ में इनकी जाँच की जानी चाहिए.
• नेट तटस्थता के संदर्भ में सार्वजनिक नीति का प्राथमिक लक्ष्य अपने नागरिकों के लिए सस्ती ब्रॉडबैंड, गुणवत्ता ब्रॉडबैंड और यूनिवर्सल ब्रॉडबैंड सुविधा प्रदान कर देश के विकास में योगदान देना होना चाहिए.
• रिपोर्ट के अनुसार इंटरनेट यूज़र्स के अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सेवा प्रदाता कंपनी इंटरनेट पर सामग्री भेजने, प्राप्त करने, दिखाने, इस्तेमाल करने, कोई भी कानूनी सामग्री साझा करने के लिए उपभोक्ताओं के अधिकारों को सीमित न करे.
• ओवर-दी-टॉप (ओटीटी) आवेदन सेवाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उनके विस्तार और विकास में आने वाली किसी भी बाधा को हटा दिया जाना चाहिए.
• अप्लिकेशन लेयर और नेटवर्क लेयर अलग- अलग होने चाहिए क्योंकि अप्लिकेशन सेवाएँ लाइसेंस नेटवर्क पर प्रदान की जाती हैं.
• ओवर-दी-टॉप (ओटीटी) मे टेक्स्ट मैसेजिंग पर कमेटी ने कहा है कि इस पर दूसरी कम्यूनिकेशन सर्विंस की तरह चौकसी नहीं रखी जानी चाहिए.
• रिपोर्ट के अनुसार ओटीटी वीओआईपी अंतरराष्ट्रीय फोन सेवाओं के मामले में एक उदार दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है. हालांकि टीएसपी और ओटीटी संचार सेवाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली घरेलू (स्थानीय और राष्ट्रीय) कॉल संचार सेवाएँ वर्तमान नियामक व्यवस्था से नियमित की जानी चाहिए.
• सामग्री और अनुप्रयोग प्रदाताओं द्वारा नेट तटस्थता के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए डेटा निकालने के लिए नेटवर्क के उपयोग की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
• डिजिटल युग की जटिलताओं से निपटने के लिए एक थिंक टैंक स्थापित किया जा सकता है.
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