तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में 13 जुलाई 2013 को देर रात से काम शुरू हो गया. परमाणु संयंत्र में काम शुरू करने के बाद सभी परमाणु प्रक्रिया सफल रही और उसके सभी मानक उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. संयंत्र शुरू होने के अवसर पर नाभिकीय ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं नाभिकीय ऊर्जा विभाग के सचिव आरके सिन्हा और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड के मुख्य महानिदेशक केसी पुरोहित भी उपस्थिति थे.
रिएक्टर कोर में न्यूट्रॉन की गुणन प्रक्रिया 13 जुलाई 2013 को दोपहर में शुरू कर दी गई थी और प्राइमरी कुलेंट वाटर में बोरिक एसिड के मिश्रण में इसने उम्मीद के मुताबिक काम किया.
संयंत्र में काम शुरू करने से पहले इसके सभी सुरक्षा मानकों की जांच कर ली गयी थी. इसे सबसे पहली स्वीकृति नाभिकीय ऊर्जा नियामक बोर्ड से मिली. बोर्ड ने यह स्वीकृति पर्यवेक्षण समिति, सुरक्षा समीक्षा समितियों की रिपोर्ट मिलने के बाद दी. 11 जुलाई 2013 को नाभिकीय ऊर्जा नियामक बोर्ड, एनपीसीआईएल और रूसी विशेषज्ञों ने संयंत्र का दौरा किया और पूरी प्रक्रिया की जांच की.
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र से संबंधित मुख्य तथ्य
• कुडनकुलम परमाणु संयंत्र देश का 21वां संयंत्र है और इसमें पहली बार लाइट वाटर कैटेगरी के प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर का इस्तेमाल किया गया है.
• यह परमाणु संयंत्र तमिलनाडु के कुडनकुलम में स्थित है.
• परमाणु संयंत्र के निदेशक आरएस सुंदर हैं.
• रूस के सहयोग से स्थापित इस संयंत्र में उत्पादित बिजली का इस्तेमाल दक्षिणी राज्यों द्वारा किया जाना है, लेकिन उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा बिजली आपूर्ति के संकट को झेलने वाले तमिलनाडु को दिया जाना है.
• संयंत्र में कुल उत्पादित 1000 मेगावाट बिजली में से तमिलनाडु को 463 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जानी है.
• इस संयंत्र में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार उन्नत सुरक्षात कनीक लगाई गई है.
• यहां एक्टिव और पैसिव दोनों तरह के सेफ्टी सिस्टम लगाए गए हैं जिससे संयंत्र, लोगों और पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
• संयंत्र के यूनिट प्रथम में अक्टूबर 2012 में लगभग 80 टन परमाणु ईंधन यूरेनियम ऑक्साइड डाला गया था.
परमाणु ऊर्जा
परमाणु ऊर्जा वह ऊर्जा है जिसे नियंत्रित परमाणु अभिक्रिया से उत्पन्न किया जाता है. वाणिज्यिक संयंत्र वर्तमान में बिजली उत्पन्न करने के लिए परमाणु विखंडन अभिक्रिया का उपयोग करते हैं. नाभिकीय रिएक्टर से प्राप्त उष्मा पानी को गर्म करके भाप बनाने के काम आती है, जिसे फिर बिजली उत्पन्न करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वर्ष 2009 में विश्व की बिजली का 15 प्रतिशत परमाणु ऊर्जा से प्राप्त हुआ.
क्या होता है परमाणु संयंत्र?
परमाणु संयंत्र ताप का स्त्रौत होता है. इस रिएक्टर में ताप की मदद से पानी को भाप बनाया जाता है और इसी भाप से जनरेटर के टर्बाइन को गतिशील कराया जाता है, इस तरह टर्बाइन के घुमने से बिजली का निर्माण किया जाता है. मानक रिएक्टर जो कि क्वथन (Boiling) जल या दाबानुकूलित भारी जल रिएक्टर होता है, इस रिएक्टर में ईधन के लिए यूरेनियम 235 का प्रयोग किया जाता है. रिएक्टर के अन्दर यूरेनियम 235 की श्रृंखला अभिक्रिया होती है, इसी अभिक्रिया से ऊर्जा (Heat) मिलती है जो कि पानी को भाप में बदल देती है. यूरेनियम 235 प्रकृति में स्वतंत्र रूप से नहीं पाया जाता. प्रकृति में स्वतंत्र रूप से यूरेनियम 238 पाया जाता है. ईधन के लिए यूरेनियम 238 का प्रयोग करने से पहले इसे यूरेनियम 235 में बदलना होता है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation