उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने प्रसिद्व तीर्थ स्थलों के मार्ग में राज्य आपदा राहत बल के कर्मियों को प्राकृतिक आपदा की आशंका वाले क्षेत्रों में तैनात करने के आदेश 25 मार्च 2014 को दिए. इसका उद्देश्य मई 2014 में शुरू होने वाली चारों धामों की यात्रा से पहले सुरक्षा प्रबंध को मजबूत करना है.
राज्य आपदा राहत बल के कर्मियों को चार धाम की सम्पूर्ण यात्रा के दौरान तैनात किया जाएगा.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत के अनुसार 30 अप्रैल 2014 तक तीर्थ स्थलों के मार्गों की मरम्मत के कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा.
हिमालय तीर्थ में चार धाम यात्रा मई 2014 के पहले सप्ताह में शुरू होनी है जबकि केदारनाथ तीर्थ को भक्तों एवं श्रद्धालुओं के लिए 5 मई 2014 को खोला जाएगा.
पृष्ठिभूमि
आपदा कार्रवाई बल की तैनाती का यह आदेश बादल फटने, बाढ़ और राज्य में होने वाले भूस्खलन से बचाव के लिए 16 जून 2013 को पारित किया गया था. इसके पहले ठीक इसी प्रकार सीमा सड़क संगठन (बीआरओ), ने भी राज्य में ऐसे 50 खतरे वाले क्षेत्रों की पहचान की थी जो कि भूस्खलन की आशंका वाले जिलों चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी में हैं.
राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (State Disaster Response Force)
भयंकर प्राकृतिक आपदा का सामना करने के बाद उत्तराखंड राज्य ने प्राकृतिक आपदाओं से त्वरित गति से निपटने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फ़ोर्स, State Disaster Response Force, एसडीआरएफ) के गठन को वर्ष 2013 में मंजूरी प्रदान की. राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), का गठन राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की तर्ज पर वर्ष 2013 में किया गया था.
इसके तहत 6 कंपनियां गठित की जानी हैं. इनमें से दो गढ़वाल में और दो कुमाऊँ में रहेंगी. दो अन्य जरुरत के अनुसार विभिन्न जगहों पर स्थान्तरित होती रहेंगी. एसडीआरएफ का मुख्यालय देहरादून में स्थापति होना है. एसडीआरएफ में पुलिस बल से कर्मचारियों को लेने के अलावां बाहर से भर्ती की जाएगी. एसडीआरएफ में रहने के लिए जवानों की अधिकतम आयु 45 वर्ष होगी. इसके बाद उन्हें पुलिस विभाग में वापस भेज दिया जाएगा.
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