दिल्ली सरकार ने 28 अगस्त 2014 को दिल्ली में दुपहिया वाहन के पीछे बैठने वाली महिला सवारियों को हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया.
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यह कानून सरकार द्वारा दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 115 में संशोधन के बाद प्रभाव में आया.
सरकार ने सिखों की धार्मिक भावना का ध्यान रखते हुए सिख महिलाओं को इससे छूट प्रदान की गई है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) ने दिल्ली सरकार के निर्णय का स्वागत किया.
संशोधन के पीछे कारण
दिल्ली परिवहन विभाग के अनुसार वर्ष 2012 में 580 के आसपास दुपहिया वाहन सवारों ने दुर्घटना में अपनी जान गंवाई. सिर की चोटें उनकी मौत का मुख्य कारण थे. यह मौतें हेलमेट न लगाने का नतीजा थी. इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 में संशोधन प्रस्तावित किया गया था.
दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993
दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 115 का खंड (2) महिलाओं को हेलमेट पहनना वैकल्पिक बनाता है. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस खंड को हटाया जाना आवश्यक था.
वर्ष 1998 में दिल्ली सरकार ने दुपहिया वाहन चलाने वाले और उस पर बैठने वाले के लिए हेलमेट पहनना जरूरी कर दिया था. इस नियम को लेकर सिख समुदाय के एतराज के बाद सरकार ने वर्ष 1999 में मोटर वाहन नियम, 1993 में बदलाव किया और महिलाओं के हेलमेट पहनने को विकल्प के तौर पर बना दिया.
पृष्ठभूमि
उपराज्यपाल नजीब जंग ने 2 मई 2014 को सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर आम जनता से सुझाव मांगने हेतु दिल्ली परिवहन विभाग को मंजूरी दी थी. सुझाव के दौरान यह नतीजा सामने आया कि हेलमेट पहनना सभी के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए.
इसके अलावा, कुछ मुस्लिमों ने दुपहिया वाहन पर बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के लिए राजधानी में राहत की मांग की.
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