देश भर में 15 सितंबर 2015 को 48वां अभियंता दिवस मनाया गया. वर्ष 2015 के अभियंता दिवस का विषय ‘ज्ञान के इस युग में इंजीनियरिंग की चुनौतियां’ (Engineering Challenges for Knowledge Era) था.
विदित है कि देश भर के अभियंता (इंजीनियर) भारत रत्न से सम्मानित इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 15 सितंबर को अभियंता दिवस मनाया जाता है. भारत में मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को आधुनिक भारत का विश्वकर्मा कहा जाता है.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया
विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर, जो कि अब कर्नाटक में है, के 'मुद्देनाहल्ली' नामक स्थान पर 15 सितम्बर 1861 को हुआ था. 19 वर्ष की आयु में बैंगलोर के कॉलेज से उन्होंने बी.ए. की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की.
उनके इंजीनियरिंग के असाधारण कार्यों में मैसूर शहर में कन्नमबाडी या कृष्णराज सागर बांध का निर्माण शामिल था. उसकी योजना वर्ष 1909 में बनाई गई थी और वर्ष 1932 में यह योजना पूरी हुई.
बम्बई प्रेसीडेन्सी में कई जलाशय बनाने के बाद, सिंचाई व विद्युत शक्ति के लिए उन्होंने कावेरी नदी को काम में लाने के लिए योजना बनाई. यह बांध 124 फुट ऊँचा था, जिसमें 48,000 मिलियन घन फुट पानी का संचय किया जा सकता था. जिसका उपयोग 150,000 एकड़ भूमि की सिंचाई और 60,000 किलो वाट्स ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए होना था. उस समय तक कृष्णराज सागर बांध भारत में बना सबसे बड़ा जलाशय था. इस बहुउद्देशीय परियोजना के कारण अनेक उद्योग विकसित हुए, जिसमें भारत की विशालतम चीनी मिल, मैसूर चीनी मिल भी शामिल है.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को उनके असाधारण कार्यों हेतु वर्ष 1955 में भारत रत्न प्रदान किया गया. 14 अप्रैल 1962 को विश्वेश्वरैया का निधन हुआ.

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