पर्यावरण मंत्रालय ने नए उद्योगों की मंजूरी को प्रक्रिया आसान बनाने हेतु उन्हें बिना वन विभाग की मंजूरी के ही पर्यावरण मंजूरी देने का निर्णय लिया. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के मंत्रित्व काल में यह निर्णय 13 सितंबर 2011 को लिया गया.
पर्यावरण मंत्रालय के इस निर्णय के अनुसार अब किसी नए उद्योग के लिए पर्यावरण मंजूरी के लिए आवेदन करने से पहले वन विभाग की मंजूरी हासिल करना जरूरी नहीं है. बल्कि उसे सिर्फ वन विभाग में आवेदन किए जाने का प्रमाण भर पेश करना आवश्यक माना गया. और सिर्फ इसी आधार पर पर्यावरण मंजूरी के उसके आवेदन पर कार्यवाही की जाएगी.
हालांकि पर्यावरण मंत्रालय ने अपने निर्णय में यह शर्त लगाया है कि पर्यावरण मंजूरी मिलने के एक साल के अंदर आवेदनकर्ता को वन विभाग की मंजूरी का प्रमाणपत्र पर्यावरण मंत्रालय में पेश करना अनिवार्य है. विशिष्ट अवसरों पर इस समय सीमा को डेढ़ साल तक बढ़ाया जा सकता है. अगर कंपनी इस दौरान वन विभाग की मंजूरी हासिल करने में नाकाम रहती है तो उसकी पर्यावरण मंजूरी भी रद्द मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में आवेदनकर्ता को नए सिरे से आवेदन करना होगा.
ज्ञातव्य हो कि 31 मार्च 2011 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के मंत्रित्व काल में पर्यावरण मंत्रालय ने निर्णय लिया था कि वन विभाग की मंजूरी के बिना ऐसे आवेदन को मंजूर नहीं किया जाएगा. पर्यावरण मंत्रालय के उस निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय ने भी सही बताते हुए भविष्य में इसके पालन को जरूरी बताया था.
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