नासा ने 2 जुलाई 2014 को ऑर्बिटिंग कार्बन ऑब्जरवेट्री–2 (ओसीओ–2), एक ऐसा उपग्रह जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए जिम्मेदार कार्बन डाइऑक्साइड को ट्रैक करेगा, लांच किया. यह उपग्रह कैलिफोर्निया स्थित वाडेन्बर्ग वायुसेना बेस से डेल्टा 2 रॉकेट के जरिए लांच किया गया.
ओसीओ–2 लांच मिशन की तैयारी का प्रबंधन नासा के लांच सर्विस प्रोग्राम ने किया जो फ्लोरिडा के केनेडी अंतरिक्ष केंद्र में स्थित है और इसका नियंत्रण कैलिफोर्निया का जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी कर रही थी.
ओसीओ–2 नासा का अपनी तरह का पहला मिशन है जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड का कई सत्रों में अध्ययन करने को समर्पित है. फरवरी 2009 में कुछ गड़बड़ी की वजह से अंतरिक्ष यान ओसीओ को कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा था. 468 मिलियन अमेरिकी डॉलर का यह मिशन दो वर्ष तक चलेगा. इस दौरान उम्मीद है कि यह कार्बन डाइऑक्साइड के क्षेत्रीय स्रोतों के साथ ग्रीनहाउस गैसों की विस्तृत रीडिंग प्रदान करेगा.
अंतरिक्ष यान सिर्फ एक उपकरण ले कर गया है और इसका एकमात्र फोकस कार्बन का पता लगाना है. यह उपकरण बेहद सटीक है जिससे शोधकर्ताओं को वायुमंडल की परतों में कार्बन डाइऑक्साइड के कणों की संख्या को गिनने में मदद मिलेगी और इन आंकड़ो का इस्तेमाल कर वे कैसे गैस वैश्विक तापमान जैसी चीजों पर प्रभाव डालता है, पर अपना निष्कर्ष दे पाएंगें.
ओसीओ–2 ए–ट्रेन पांच अन्य अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी– अनुसरण उपग्रहों के समूह का हिस्सा है और पृथ्वी के ध्रुवीय परिक्रमा पर्यावरण उपगर्हों के सफर में मिलती है. अंतरिक्ष यान को वाडेन्बर्ग के पश्चिमी तट से इसलिए लांच किया गया क्योंकि यह अमेरिका से ध्रुवीय कक्षा को पूरा करने का एकमात्र रास्ता है.
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