न्यायमूर्ति एपी शाह ने भारत के 20वें विधि आयोग के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया

Nov 25, 2013, 14:24 IST

उच्च न्यायालय, दिल्ली के पूर्व मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति एपी शाह ने भारत के 20वें विधि आयोग के अध्यक्ष का पदभार 22 नवंबर 2013 को ग्रहण किया.

उच्च न्यायालय, दिल्ली के पूर्व मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह (एपी शाह) ने भारत के 20वें विधि आयोग के अध्यक्ष का पदभार 22 नवंबर 2013 को ग्रहण किया. न्यायमूर्ति एपी शाह विधि आयोग के अध्यक्ष का पद सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके जैन का स्थान लिया. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके जैन ने अक्टूबर 2013 में 20वें विधि आयोग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था.

20वें विधि आयोग के अध्यक्ष पद से त्यागपत्र देने के बाद न्यायमूर्ति डीके जैन ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया.

न्यायमूर्ति एपी शाह से सम्बंधित मुख्य तथ्य
पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह का जन्म 13 फरवरी 1948 को महाराष्ट्र के शोलापुर में हुआ था. उन्होंने शोलापुर जिला न्यायालय से अपनी वकालत की शुरूआत की और वर्ष 1977 में वे उच्च न्यायालय, बम्बई में स्थानांतरित हो गये.
 
न्यायमूर्ति एपी शाह द्वारा दिए गए महत्त्वपूर्ण निर्णय
• पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति अजीत प्रकाश शाह मई 2008 से फरवरी 2010 में सेवानिवृत्त होने तक उच्च न्यायालय, दिल्ली के मुख्य न्यायधीश रहे.
• विश्व भर में खबर बना जुलाई 2009 का 150 वर्ष पुराने उभयलिंगी निरोधक कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 377) को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताने वाला निर्णय.
• दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंधों को गैर आपराधिक कृत्य ठहराने संबंधी निर्णय.
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना का अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे में लाने संबंधी फैसला.
उच्च न्यायालय, दिल्ली के सभी न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति की घोषणा करना और उसे आधिकारिक वेबसाइट पर रखना.

विधि आयोग
स्वतंत्र भारत का प्रथम विधि आयोग वर्ष 1955 में गठित हुआ था और भारत के तत्कालीन महान्यायवादी एमसी सीतलवाड़ इसके अध्यक्ष थे. वर्ष 1955 से 1 सितम्बर 2012 तक 20 विधि आयोग गठित हो चुके हैं. विधि आयोग का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है. विधि आयोग एक गैर सांविधिक निकाय है जो केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के करीबी समन्वय में तथा उसके सामान्य निर्देशों के अंतर्गत कार्य करता है. विधि आयोगों के विचारार्थ विषय भिन्न-भिन्न रहे हैं.

20वें विधि आयोग का गठन 1 सितम्बर 2012 को किया गया. इसका कार्यकाल 1 सितम्बर 2012 से 31 अगस्त, 2015 तक (तीन वर्ष की अवधि के लिए) है. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके जैन ने 25 जनवरी 2013 को 20वें विधि आयोग के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण किया.
 
20वें विधि आयोग को सौंपे गए विचारार्थ विषय निम्नलिखित हैं:-
1. अप्रचलित विधियों का पुनर्विलोकन/निरसन
(i) ऐसी विधियों की पहचान करना, जो अब आवश्यक या सुसंगत नहीं रह गई हैं और जिन्हें तत्काल निरसित किया जा सकता है ;
(ii) ऐसी विधियों की पहचान करना, जो आर्थिक उदारीकरण के विद्यमान परिवेश के सामंजस्य में हैं और जिनमें किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है ;
(iii) ऐसी विधियों की पहचान करना, जिनमें परिवर्तन या संशोधन अपेक्षित हैं और उनके संशोधन के लिए सुझाव देना;
(iv) विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के विशेषज्ञ समूहों द्वारा दिए गए पुनरीक्षण/ संशोधन के सुझावों पर, उनके समन्वयन और सामंजस्यकरण की दृष्टि से, व्यापक परिप्रेक्ष्य में विचार करना.
(v) एक से अधिक मंत्रालय/विभागों  के कार्यकरण पर प्रभाव डालने वाले विधान की बाबत मंत्रालयों/विभागों द्वारा किए गए निर्देशों पर विचार करना;
(vi) विधि के क्षेत्र में नागरिकों की शिकायतों को शीघ्र दूर करने के लिए उपयुक्त उपायों का सुझाव देना .

2. विधि और निर्धनता
(i) ऐसी विधियों की जांच करना, जो निर्धनों पर प्रभाव डालती हैं और सामाजिक - आर्थिक विधान के लिए पश्च-संपरीक्षा करना.
(ii) ऐसे सभी उपाय करना जो निर्धनों की सेवा में विधि और विधिक प्रक्रिया को उपयोग में लाने के लिए आवश्यक हों.

3. यह सुनिश्चित करने के लिए न्याय प्रशासन की पद्धति का पुनर्विलोकन करते रहना कि वह समय की उचित मांगों के लिए प्रभावी बनी रहे.
4. विद्यमान विधियों की राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के आलोक में परीक्षा करना और उनमें सुधार तथा उन्नति के तरीकों का सुझाव देना और ऐसे विधान का सुझाव भी देना जो निर्देशक सिद्धांतों के कार्यान्वयन के लिए और संविधान की उद्देशिका में वर्णित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो.
5. लैंगिक समानता के संवर्धन की दृष्टि से विद्यमान विधियों की परीक्षा करना और उनमें संशोधनों के लिए सुझाव  देना.
6. सामान्य महत्व के केन्द्रीय अधिनियमों का पुनरीक्षण करना जिससे उन्हें सरल बनाया जा सके और उनकी विसंगतियों, संदिग्धताओं तथा असमानताओं को दूर किया जा सके.
7. अप्रचलित विधियों और ऐसी अधिनियमितियों या उनके ऐसे भागों को, जिनकी उपयोगिता नहीं रह गई है, निरसित करके कानून को अद्यतन करने के उपायों की सरकार को सिफारिश करना.
8. विधि और न्याय प्रशासन से संबंधित ऐसे किसी अन्य विषय पर, जो विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से सरकार द्वारा इसे निर्देशित किया जाए, विचार करना और अपने अभिमत से सरकार को अवगत कराना.
9. अनुसंधान प्रदान करने के लिए विदेशों से प्राप्त अनुरोधों पर, जो सरकार द्वारा विधि और न्याय मंत्रालय (विधि कार्य विभाग) के माध्यम से विनिर्दिष्ट किए गए हों, पर विचार करना.
10.खाद्य सुरक्षा, बेरोजगारी पर वैश्वीकरण के प्रभाव की जांच करना और गरीबों के हितों की रक्षा के लिए उपायों की सिफारिश करना.

स्वतंत्र भारत के विधि आयोग एवं उनके अध्यक्ष

प्रथम विधि आयोग

1955-58

महान्यायवादी एमसी सीतलवाड़

द्वितीय विधि आयोग

1958-61

न्यायमूर्ति टी0वी0 वेंकटराम अय्यर

तृतीय विधि आयोग

1961-64

न्यायमूर्ति जे0 एल0 कपूर

चतुर्थ विधि आयोग

1964-68

न्यायमूर्ति जे0एल0 कपूर

पांचवा विधि आयोग

1968-71

श्री के0वी0के0 सुन्दरम, आई0सी0एस0

छठा विधि आयोग

1971-74

न्यायमूर्ति डा0पी0बी0 गजेन्द्रगडकर

सातवां विधि आयोग

1974-77

न्यायमूर्ति डा0 पी0बी0 गजेन्द्रगडकर

आठवां विधि आयोग

1977-79

न्यायमूर्ति एच0आर0 खन्ना

नवां विधि आयोग

1979-80

न्यायमूर्ति पी0वी0 दीक्षित

दसवां विधि आयोग

1981-85

न्यायमूर्ति के0के0 मैथ्यू

ग्यारहवां विधि आयोग

1985-88

न्यायमूर्ति डी0ए0 देसाई

बारहवां विधि आयोग

1988-91

न्यायमूर्ति एम0पी0 ठक्कर

तेरहवां विधि आयोग

1991-94

न्यायमूर्ति के0एन0 सिंह

चौदहवां विधि आयोग

1995-97

न्यायमूर्ति  के0 जयचंद्र रेड्डी

पंद्रहवां विधि आयोग

1997-2000

न्यायमूर्ति बी0पी0 जीवन रेड्डी

सोलहवां विधि आयोग

2000-2001

2002-2003

न्यायमूर्ति बी0पी0 जीवन रेड्डी  न्यायमूर्ति  एम0 जगन्नाथ राव

सतरहवां विधि आयोग

2003-2006

न्यायमूर्ति एम0 जगन्नाथ राव

अठारहवां विधि आयोग

2006-2009

न्यायमूर्ति ए0आर0 लक्ष्मणन

उन्नीसवां विधि आयोग

2009-2012

न्यायमूर्ति पी वी रेड्डी 

बीसवां विधि आयोग

2012-15

न्यायमूर्ति डीके जैन, न्यायमूर्ति एपी शाह

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