कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी रीवरसाइड के वैज्ञानिकों ने पहली बार मानव मलेरिया परजीवी जीनोम का 3डी मॉडल बनाया. यह मॉडल परजीवी के जीवनचक्र के तीन अलग– अलग चरणों में बनाया गया है. इससे नए मलेरिया रोधी दवाओं की पहचान करने में मदद मिलेगी. शोध जीनोम रिसर्च जरनल में 16 अप्रैल 2014 को प्रकाशित हुआ था.
इस मॉडल को विकसित करने की जरूरत क्या थी?
किसी भी जीव या कोशिका के जैविक प्रकार को समझने के लिए वैज्ञानिकों को निम्नलिखित बाते समझने की जरूरत होती है
• जीनोम अनुक्रम में छिपी जानकारी,
• जीनोम अनुक्रम प्रत्येक कोशिका या उत्तक से किस प्रकार बना और शारीरिक रूप से आयोजित किया हुआ है.
• 3डी जीनोम संरचना में परिवर्तन किस प्रकार जीन की अभिव्यक्ति को विनियमित करने, गुणसूत्र संरचना विकास (मॉर्फोजेनेसिस) और जीनोम स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
इसलिए, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कोशिका की प्राकृतिक अवस्था में पी. फैल्सीपेरम जीनोम की संरचना का विश्लेषण करने के लिए क्रोमोजोम कनफॉर्मेशन कैप्चर मेथड और हाई थॉटपुट सिक्वेंसिंग का इस्तेमाल किया. इसके बाद वैज्ञानिकों ने परजीवी जीनोम के जीवनचक्र के हर चरण के 3डी मॉडल बनाने के लिए सभी शारीरिक संपर्कों के नक्शे का इस्तेमाल किया . एक बार वैज्ञानिकों ने यह समझ लिया कि कैसे मलेरिया का परजीवी जीनोम नाभिक में संगठित होता है और कौन सा तत्व उसके संगठन को नियंत्रित करता है फिर उस जीनोम के आर्किटेक्चर और उसके विकास दोनों को रोकना संभव हो जाएगा. इसलिए, जीनोम आर्किटेक्चर जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने में और तेजी से फैलने वाले परजीवियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
शोध का निष्कर्ष
• टीम ने पाया कि मलेरिया परजीवी के जीन को अधिक अभिव्यक्ति करने की जरूरत है. वैसे जीन विस्थापन में लगे होते हैं और ये जीन कोशिका के नाभिक के कुछ क्षेत्र में ही क्लस्चर बनाते हैं.
• दूसरी तरफ जीनों को बलपूर्वक दमन करने की जरूरत है जैसे तेजी से फैलने वाला जीन 3डी संरचना के दमन केंद्र में कहीं पाया जाता है.
• मलेरिया परजीवी का वायरूलेंस जीन लोगों में परजीवी के अस्तित्व के लिए जिम्मेदार होता है.
टीम परजीवी नाभिक में आनुवांशिक तत्वों के बीच हुए सभी शारीरिक संबंधों को चित्रित करने में सफल रही.
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