सर्वोच्च न्यायालय ने पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर-ए-तैयबा आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की अपील खारिज करते हुए सत्र अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखने का फैसला 10 अगस्त 2011 को दिया.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएस सिरपुरकर व न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की पीठ ने अशफाक के अपराध को जघन्य करार देते हुए निर्णय में बताया कि यह वह मामला है जिसमें विदेशियों ने भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर सीधा हमला किया है. पीठ ने लालकिला को भारत की स्वाधीनता और संप्रभुता का प्रतीक बताया.
ज्ञातव्य हो कि 22 दिसंबर 2000 को रात करीब 9:00 बजे दिल्ली स्थित लालकिला परिसर में गोलीबारी हुई थी, जिसमें सेना के तीन जवान शहीद हुए थे. इस मामले में सत्र अदालत व दिल्ली उच्च न्यायालय ने अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी.
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