लिसेस्टर यूनिवर्सिटी एवं लंदन स्कूल ऑफ़ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन ने 7 जुलाई 2015 को एक शोधपत्र प्रकाशित किया जिसमें यह बताया गया कि पी फाल्सीपेरम में प्रोटीन काइनेज़ (पीएफपीकेजी) को लक्षित करने पर मलेरिया को रोका जा सकता है.
पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित इस शोधपत्र का शीर्षक था फोस्फोरोटोमिक्स रिवील्स मलेरिया प्रोटीन काइनेज जी एज़ ए सिग्नलिंग हब रेगुलेटिंग एग्रेस एंड एनवेज़न (फोस्फोरोटोमिक्स द्वारा पाया गया कि मलेरिया प्रोटीन काइनेज जी इसे नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता है).
वैज्ञानिकों के अनुसार यह खोज काफी सहायक सिद्ध हो सकती है जिससे भविष्य में मलेरिया रोधी दवाओं को विकसित करने में मदद मिलेगी. शोध से दवाओं को इस कदर सुरक्षित बनाया जा सकता है कि उनका सेवन बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित रहेगा.
पी फाल्सीपेरम में प्रोटीन पीएफपीकेजी की भूमिका
प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम मानव मलेरिया परजीवी की सबसे खतरनाक प्रजाति है. यह परजीवी के बढ़ने में मुख्य भूमिका निभाता है तथा उनके विकास के लिए उत्तरदायी है. पीएफपीकेजी संभवतः जैव संश्लेषण के विनियमन के माध्यम से परजीवी में कैल्शियम के स्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
शोध
अनुसंधान संयुक्त रूप से डेविड ए बेकर एवं एंड्रयू बी टोबिन तथा इसमें शामिल भारतीय वैज्ञानिक डॉ महमूद आलम के नेतृत्व में किया गया. डॉ महमूद आलम झारखण्ड के रहने वाले हैं.
अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक फोस्फोरोटोमिक्स का प्रयोग किया.
इस तकनीक द्वारा फॉस्फेट समूह युक्त प्रोटीन की विशेषताएं तथा उनकी पहचान की गयी.
इस शोध को ब्रिटेन की चिकित्सा अनुसंधान परिषद (एमआरसी) तथा वेलकम ट्रस्ट द्वारा वित्त पोषित किया गया.
एमआरसी ब्रिटेन में चिकित्सा अनुसंधान के लिए समन्वय और धन उपलब्ध कराने के लिए एक सरकारी एजेंसी है जबकि लंदन स्थित वेलकम ट्रस्ट एक वैश्विक चैरिटेबल फाउंडेशन है.
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