चीन ने नोबेल शांति पुरस्कार की तर्ज पर कन्फ्यूशियस शांति पुरस्कार का आयोजन किया. वर्ष 2010 के अंत में स्थापित कन्फ्यूशियस शांति पुरस्कार के पहले विजेता के तौर पर ताईवान के पूर्व उपराष्ट्रपति लिएन चान का चयन किया गया. हालांकि लिएन चान ने इस पुरस्कार को लेने से मना कर दिया. 9 दिसंबर 2010 को चीन ने कन्फ्यूशियस शांति पुरस्कार को आयोजित कर एक अनाम बच्ची को यह पुरस्कार प्रदान किया. पुरस्कार में कन्फ्यूशियस शांति पुरस्कार ट्रॉफी और 15000 अमेरिकी डॉलर दी गई.
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2010 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चीन के लोकतंत्र समर्थक नेता लियू श्याओबो को चयनित किया गया. लियू श्याओबो चीन की जेल में बंद हैं, और 10 दिसंबर 2010 को नॉर्वे के ओस्लो में होने वाले नोबेल पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हो सकते हैं.
चीन ने अन्य देशों से नोबेल पुरस्कार समारोह का बहिस्कार करने की मांग की थी. इस मांग की अनदेखी करते हुए 44 देशों ने, जिसमें भारत भी है, आयोजन में शामिल होने पर सहमति जताई. 19 देशों जिसमें पाकिस्तान, रूस, ईरान, इराक, वियतनाम, सउदी अरब प्रमुख हैं, ने नोबेल पुरस्कार समारोह में भाग लेने से इंकार किया.
नोबेल समारोह में दूसरी बार खाली सीट: चीन के जेल में बंद लियू श्याओबो की अनुपस्थिति और उनकी जगह किसी प्रतिनिधि के नहीं आने से नोबेल पुरस्कार समारोह के इतिहास में दूसरी बार किसी विजेता का सीट खाली रहा. इससे पहले वर्ष 1936 में जर्मनी के पत्रकार कार्लवोन ओसिएत्जकी नोबल समारोह में नहीं आ पाए थे, और न ही उनकी जगह कोई प्रतिनिधि आया था.
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