बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली जमात-ए-इस्लामी पार्टी की याचिका 5 अगस्त 2013 को खारिज कर दी. बांग्लादेश के ढाका उच्च न्यायालय द्वारा 1 अगस्त 2013 को दिए गए निर्णय में न्यायालय ने देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी जमात-ए-इस्लामी (Jamaat-e-Islami) को ‘अवैध’ घोषित करते हुए भविष्य में उसके चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शमसुददीन चौधरी मानिक ने जमात-ए-इस्लामी पार्टी की याचिका खारिज कर दी जिसके तहत उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी. न्यायाधीश ने कहा कि स्थगन याचिका के लिए कोई ठोस आधार नहीं है और याचिकाकर्ता के वकील ने इसके समर्थन में कोई दलील नहीं पेश की.
विदित हो कि बांग्लादेश द तारिकात फेडरेशन के महासचिव रेजाउल हक चंदपुरी और 24 अन्य लोगों ने 25 मई 2009 को याचिका दायर की थी. याचिका में इन लोगों ने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी एक धर्म आधारित राजनीतिक दल है और यह बांग्लादेश की स्वतंत्रता तथा संप्रभुता में विश्वास नहीं रखता. द तारिकात फेडरेशन ने याचिका में दावा किया है कि ‘रिप्रेजंटेशन ऑफ पीपुल ऑर्डर (आरपीओ)’ कानून एक साम्प्रदायिक संगठन को बतौर राजनीतिक दल पंजीकरण कराने की अनुमति नहीं देता.
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