भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक संजीव सहोता को प्रतिष्ठित मैन बुकर प्राइज 2015 के लिए चयनित छह लेखकों की सूचीं में शामिल किया गया.
डेर्बीशर में जन्मे सहोता की किताब ‘द इयर ऑफ द रनअवेज' में 13 भारतीय युवकों की कहानी है, जो ब्रिटेन के शेफील्ड में एक घर में रहते हैं. इनमें हर कोई युवक एक नई जिंदगी की तलाश में है.
यह पुरस्कार पहली बार वर्ष 1969 में दिया गया था. गौरतलब है कि वर्ष 2014 से पहले इस पुरस्कार में केवल ब्रिटेन और राष्ट्रमंडल, आयरलैंड एवं जिंबाब्वे के लेखक ही शामिल हो सकते थे. अब केवल यही शर्त रखी गई है कि रचना मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी और ब्रिटेन में प्रकाशित हुई हो.
संजीव मैन बुकर प्राइज 2015 के लिए फिक्शन कैटेगरी में चयनित 6 लेखकों में से एक हैं. मैन बुकर प्राइज 2015 के विजेता की घोषणा 13 अक्तूबर 2015 को की जायेगी.
- साटन आइलैंड: ब्रिटिश लेखक टॉम मैकार्थी
- ए स्पूल ऑफ ब्लू थ्रैड: ऐनी टायलर (अमेरिका)
- ए लिटिल लाइफ: हन्या यानागिहारा (अमेरिका)
- ए बीफ हिस्ट्री ऑफ सेवन किलिंग्स: मार्लोन जेम्स (जमैका)
- द फिशरमैन: शिगोजिए ओबिओमा (नाइजीरिया)
संजीव सहोता के बारे में
संजीव सहोता भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक हैं. उनका जन्म वर्ष 1981 में डेर्बीशर में हुआ था. उनकी पहली किताब 'ऑवर्स आर द स्ट्रीट्स' साल 2011 में प्रकाशित हुई थी. यह किताब एक ब्रिटिश पाकिस्तानी युवक पर आधारित थी जो एक आत्मघाती हमलावर बन जाता है. संजीव को वर्ष 2013 में ग्रैंटा बेस्ट यंग ब्रिटिश नॉवेलिस्ट घोषित किया गया था.
मैन बुकर पुरस्कार
मैन बुकर पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1969 में इंग्लैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी. इस पुरस्कार के तहत विजेता को 60 हज़ार पाउण्ड की राशि दी जाती है.
मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन (अंग्रेजी: Man Booker Prize for Fiction) जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, राष्ट्रमंडल या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए प्रति वर्ष दिया जाता है.
इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है. पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था.
वर्ष 2008 का पुरस्कार भारतीय लेखक अरविन्द अडिगा को दिया गया. अरविन्द अडिगा को मिलाकर कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है (अन्य लेखक - वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रुश्दी और किरन देसाई).

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