भारत और ऑस्ट्रेलिया ने असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते पर 5 सितंबर 2014 को हस्ताक्षर किए. असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते ने भारत में ऑस्ट्रेलिया के यूरेनियम की बिक्री के लिए रास्ता खोल दिया. भारत अब अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया से यूरेनियम खरीदेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष टोनी एबोट की उपस्थिति में नई दिल्ली में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आमंत्रण पर 4-5 सितंबर 2014 में भारत की सरकारी यात्रा पर आये हुए थे.
इस परमाणु करार को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच द्विपक्षीय साझेदारी का एक ठोस प्रतीक के रूप में माना जा रहा है क्योंकि संधि के विवरण के अनुसार ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम की आपूर्ति, रेडियो आइसोटोप का उत्पादन, परमाणु सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करेगा.
एक राष्ट्र के रूप में ऑस्ट्रेलिया के पास दुनिया के एक तिहाई पुनः प्राप्ति यूरेनियम संसाधन हैं और यह एक वर्ष में यूरेनियम के लगभग सात हजार टन निर्यात करता है. यह एक गैर परमाणु, अप्रसार संधि (एनपीटी) हस्ताक्षरित देश के साथ ऑस्ट्रेलिया का पहला परमाणु करार है.
पृष्ठभूमि
भारत को यूरेनियम की बिक्री के लिए असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर के प्रयास दोनों देशों के बीच वर्ष 2012 से चल रहे थे जब कैनबरा ने मूल्यवान अयस्क के निर्यात के लिए भारत पर लंबे समय से लगा प्रतिबंध हटा दिया था. यह प्रतिबंध भारत को अपने महत्वाकांक्षी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को पूरा करने में मदद के लिए हटाया गया था.
भारत परमाणु अप्रसार संधि, एनपीटी का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है इसलिए इससे पहले इस तरह के समझौते पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच असैन्य परमाणु करार के अलावा दोनों देशों ने और भी तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए. अन्य तीन समझौते हैं
• खेल के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र
• जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र का नवीकरण
• तकनीकी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में सहयोग (टीवीईटी) पर सहमति पत्र
दूसरी ओर भारत और ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2015 में एक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का संचालन करने के लिए सहमति की. यह सहमति इसलिए हुई है क्योंकि दोनों पक्ष आतंकवाद, साइबर खतरों और अन्य सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपने सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं.
अन्य देशों के साथ असैन्य परमाणु समझौते
भारत ने सितंबर 2008 से रिएक्टरों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति के लिए कई देशों के साथ असैन्य परमाणु समझौते किये हैं जब उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से बिना शर्त छूट प्राप्त हुई थी. इन देशों में चीन को छोड़कर सभी पी -5 के सदस्य शामिल हैं - अमरीका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन. पी -5 के सदस्यों के अलावा भारत ने अन्य देशों के साथ भी यूरेनियम और रिएक्टर की आपूर्ति, परमाणु प्रौद्योगिकी और कचरा प्रबंधन के लिए समझौते किये हैं जैसे-
• कनाडा
• कजाखस्तान
• अर्जेंटीना
• नामीबिया
• मंगोलिया
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