भारत और मलेशिया के मध्य हुए व्यापक आर्थिक सहयोग करार 1 जुलाई 2011 से लागू हो गया. इसके लागू होते ही सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और जापान के बाद मलेशिया चौथा ऐसा देश बन गया जिसके साथ भारत ने द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक सहयोग करार किया है. व्यापक आर्थिक सहयोग करार माल-व्यापार, सेवा व्यापार, निवेश तथा आर्थिक सहयोग के अन्य क्षेत्रों में उदारीकरण की परिकल्पना करता है. इसका उद्देश्य निवेश को बढ़ावा देना तथा उदार, आसान, पारदर्शी तथा प्रतियोगी निवेश व्यवस्था कायम करना है. भारत मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग करार के अंतर्गत, भारत ने जिन मदों के संबंध में मलेशिया से बाजार प्रवेश प्राप्त किया है उनमें बासमती चावल, आम, अंडे, ट्रक, मोटर साइकिलें और सूती वस्त्र शामिल हैं और ये सभी मदें निर्यात की दृष्टि से भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इसके साथ ही कृषि, मत्स्य क्षेत्र, वस्त्र, रसायन, वाहन आदि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिए भारतीय पक्ष द्वारा पर्याप्त संरक्षण भी प्रदान किया गया. व्यापक आर्थिक सहयोग करार के सेवा करार के अंतर्गत भारत और मलेशिया ने एक-दूसरे के हित के क्षेत्रों और मोड में वाणिज्यिक रूप से सार्थक प्रतिबद्धताएं भी प्रदान की हैं जिनसे सेवा व्यापार बढ़ेगा.
व्यापक आर्थिक सहयोग करार, द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए दोनों देशों के व्यापारिक समुदायों के लिए कार्य करने का आकर्षक माहौल स्थापित करता है. व्यापक आर्थिक सहयोग करार, लेखांकन और लेखापरीक्षा, वास्तुशिल्प, शहरी नियोजना, इंजीनियरी सेवाओं, चिकित्सा एवं दंत चिकित्सा, नर्सिंग एवं फार्मेसी, कम्प्यूटर और संबंधित सेवाओं तथा प्रबंधन परामर्शी सेवाओं सहित वाणिज्यिक रूप से सार्थक सेवाओं में संविदात्मक सेवा आपूर्तिकर्ताओं तथा स्वतंत्र विशेषज्ञों के साथ-साथ व्यवसायियों के अस्थायी आवागमन में भी मदद करता है. भारत - मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग करार दोनों देशों के बीच सीमा पार निवेश में भी मदद करता है.
विदित हो कि भारत और मलेशिया के बीच व्यापार वर्ष 2010-11 में 10 अरब अमरीकी डालर हो गया. जो वर्ष 2009-10 के मुकाबले में 26 प्रतिशत अधिक है. उम्मीद है कि इस करार के लागू होने से द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 2015 तक 15 अरब अमरीकी डालर तक पहुंच जाएगा. भारत - मलेशिया व्यापक आर्थिक सहयोग करार के अंतर्गत माल पैकेज व्यापार, टैरिफ उदारीकरण को भारत - आशियान मुक्त व्यापार करार की वचनबद्धता से परे ले जाता है जो 1 जनवरी 2010 को दोनों देशों द्वारा लागू की गई थी.
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