भारत और विश्व बैंक के मध्य गंगा नदी की सफाई एवं ग्रामीण आजीविका और जैव विविधता संरक्षण से संबंधित तीन समझौतों पर 15 जून 2011 को हस्ताक्षर किए गए. नदी स्वच्छता परियोजना 4600 करोड़ रूपए ऋण की है, जो विश्व बैंक के गंगा नदी की सफाई में दीर्घकालिक सहयोग के रूप में होगा. जैवविविधता के संरक्षण से संबंधित दो समझौते 15.6 मिलियन डॉलर और 8.14 मिलियन डॉलर के हैं शेष दो परियोजनाओं के लिए दो करोड़ चालीस लाख डॉलर का ऋण देने का निर्णय लिया गया. गंगा परियोजना का उद्देश्य 2020 तक गंगा नदी में औद्योगिक कचरे के गिरने पर रोक लगाना है.
दो संरक्षित क्षेत्र- एक उत्तराखंड का और दूसरा गुजरात को संरक्षित क्षेत्र के प्रबंधन के नये मॉडल पर रखा गया है. साथ ही स्थानीय समुदायों की आजीविका को भी मजबूत किया जाना है. अब तक स्थानीय समुदाय को संरक्षित क्षेत्र का दुश्मन समझा जाता था, लेकिन इसमें बदलाव की जरूरत है. हमें इन संरक्षित क्षेत्रों के संरक्षण और उद्धार के कार्य में उन्हें साझीदार बनाना होगा. इन नये मॉडलों को देश के अन्य हिस्सों में भी लागू करने का निर्णय किया जाना है. गंगा बढ़ती आबादी, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण वृद्धि के चलते कई चुनौतियों से घिरी हैं. पानी की गुणवत्ता और मात्रा का प्रबंधन बहुत जरूरी है.
विदित हो कि गंगा स्वच्छता परियोजना 7000 करोड़ रूपए की है और इसे भारत सरकार एवं विश्व बैंक ने मिलकर मंजूर की है. भारत सरकार का योगदान 5100 करोड़ रूपए का जबकि उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल का 1900 करोड़ रूपए का योगदान है. विश्व बैंक भारत सरकार को एक अरब डालर की तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया है.
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