भारत का मौसम संबंधी उन्नत उपग्रह, इनसेट-3डी सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा में 1 अगस्त 2013 को स्थापित हुआ. उपग्रह इनसेट-3 डी का फ्रेंच गयाना (फ्रेंच गयाना दक्षिणी अमेरिका के उत्तर अटलांटिक तट पर फ्रांस का एक विदेशी क्षेत्र है.) स्थित कौरु से सफल प्रक्षेपण 26 जुलाई 2013 को किया था.
इनसेट-3डी इस समय 82 पूर्व देशांतर स्थित अपने अंतिम भू-स्थैतिक कक्षा की ओर बढ़ रहा है और इसके द्वारा 6 अगस्त 2013 को अपने निर्दिष्ट स्थल पर पहुंच जाना है. बाद में मौसम विज्ञान संबंधी दो पे-लोड और दो ट्रांसपोंडर 8 अगस्त 2013 तक सक्रिय किए जाने हैं. उसके बाद मौसम संबंधी आंकड़े प्राप्त होने शुरू हो जाने हैं.
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेट एरियन-5 ने इनसेट-3 डी और एल्फासेट उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े थे. हिन्द महासागर के ऊपर भूस्थिर कक्षा में यह पहला साउंडर सिस्टम है. स्वदेश में विकसित इनसेट-3डी के मौसम संबंधी आंकड़ों के विश्लेषण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के नई दिल्ली केंद्र में एक तंत्र विकसित किया.
उपग्रह इनसेट-3 डी
• इनसेट-3 डी द्वारा वातावरण में सतह से शिखर तक तापमान और नमी तथा ओजोन की मात्रा का पूरा विवरण देते हुए मौसम की निगरानी की जानी है.
• इनसेट-3 डी में नया 19 चैनल का साउंडर लगा है, जिसे इसरो ने किसी उपग्रह में पहली बार भेजा है.
• इनसेट 3 डी का वजन 2060 किलो है.
• इस पर इमेजर, साउंडर, डाटा रिलो ट्रांसपोंडर और सैटेलाइट एडेड सर्च एंड रेस्क्यू जैसे चार पेलोड लगे हुए हैं.
• इस पर लगा 6 चैनल वाला इमेजर पृथ्वी के मौसम संबंधी चित्र ले सकता है.
• इनसेट-3डी पर लगा तीसरा पैलोड डाटा रिले ट्रांसपोंडर द्वारा मौसम विज्ञान, जल विज्ञान और समुद्र विज्ञान संबंधी आंकड़े उपलब्ध कराए जाने हैं. इससे मौंसम संबंधी सटीक भविष्यवाणियां की जा सकेंगी.
भारत के आधुनिक मौसम उपग्रह इनसेट-3डी का फ्रेंच गुयाना के कोरू स्थित स्पेसपोर्ट से सफल प्रक्षेपण...
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