भारत के उन्नत बहुब्रांड संचार उपग्रह जीसैट-7 के सभी यूएचएफ, एस, सी तथा केयू बैंड में संचालित होने वाले 11 ट्रांसपॉन्डरों को 19 सितम्बर 2013 को सफलतापूर्वक चालू किया गया. इसके ट्रांसपॉन्डर ने सामान्य रूप से कार्य करना शुरू कर दिया.
जीसैट-7 को अपने निर्धारित कक्षा में 75 डिग्री पूर्व देशांतर में स्थित कर दिया गया है और 11 ट्रांसपॉन्डरों की कक्षा परीक्षण प्रगति पर है.
जीसैट-7 को पृथ्वी की सतह से लगभग 36000 किलोमीटर ऊंचाई पर जियोसिनक्रोनस कक्षा में 3 सितम्बर 2013 को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था. इस उपग्रह को एरियन-5 रॉकेट के माध्यम से कोरू, फ्रैच गुयाना से 30 अगस्त 2013 को प्रक्षेपित किया गया था.
ट्रांसपॉन्डर का कार्य
संचार उपग्रह में ट्रांसपोंडर अपलिंक किए गए संकेतों को प्राप्त करता है और इन संकेतों को बिना बदले पृथ्वी पर मौजूद रिसीवरों को भेजने का कार्य करता है.
जीसैट-7 से संबंधित मुख्य तथ्य
• इस उपग्रह को रूक्मिणी नाम दिया गया. इस उपग्रह का वज़न दो हज़ार पचास किलोग्राम है.
• इसके निर्माण में भारत में विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
• अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-7 यूएचएफ, एस, सी और केयू बैंड के पेलोड उपकरणों से सुसज्जित है.
• इस उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया.
• भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार जीसैट-7 एक उन्नत किस्म का संचार उपग्रह है जो संचार प्रणाली से संबंधित विभिन्न तरह के आंकड़े और व्यापक सेवायें उपलब्ध करा सकेगा.
• इस उपग्रह के पेलोड का डिजाइन इस तरह तैयार किया गया है कि वह भारतीय भूक्षेत्र सहित व्यापक महासागर क्षेत्र के बारे में संचार संबंधी सूचनायें उपलब्ध कराने में सक्षम है.
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