भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, रूस के सुखोई डिजाइन ब्यूरो और रोजोबोरोनैक्सपॉर्ट के बीच 21 दिसबर 2010 को एक समझौता किया गया. इस समझौते पर रोजोबोरोनैक्सपॉर्ट के महानिदेशक ए आईजेकिन और आरएसी मिग और सुखोई के महानिदेशक एम पोगोसियन तथा हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के चेयरमैन अशोक नायर और निदेशक एनसी अग्रवाल ने हस्ताक्षर किए. इस परियोजना का उद्देश्य पांचवीं पीढी क़े लड़ाकू विमान का प्रारंभिक डिजाइन तैयार करना और विकास करना है. पांचवीं पीढी क़े इस लड़ाकू विमान में दुश्मन से छुपने, सुपर क्रूज़ अत्यधिक एकीकृत वैमानिकी स्वीट, किसी भी परिस्थिति से निपटने, विमान के अन्दर हथियार ले जाने की क्षमता और नेटवर्क केन्द्रित वारफेयर क्षमताएं मौजूद होंगी.
संयुक्त रूप से विकसित किए जाने वाले इस विमान का नाम परस्पैक्टिव मल्टीरोल फाइटर होगा, जिसे संक्षित रूप से पीएमएफ कहा जाएगा. यह अनुबंध इस सिलसिले में होने वाले कई समझौतों की एक कड़ी है, जिसमें विमान के डिजाइन से लेकर बनाने तक अलग-अलग चरणों के बारे में भिन्न-भिन्न समझौते किए जानें हैं. कुल लागत और उत्पादन के मूल्य के लिहाज से यह भारत के इतिहास का सबसे बड़ा प्रतिरक्षा कार्यक्रम होगा, जिसके तहत 200-250 लड़ाकू विमान तैयार किए जाने हैं.
विदित हो कि यह समझौता रूस के राष्ट्रपति दमित्रि मेदवेदेव की दिसंबर 2010 में भारत की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान किया गया.
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