केरल उच्च न्यायालय ने भारत में पहला इस्लामिक बैंक खोलने की मंजूरी फरवरी 2011 के प्रथम सप्ताह में दे दी. केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे चलमेश्वर और न्यायमूर्ति पीआर रामचंद्रन मेनन की खंडपीठ ने अपने फैसले में आदेश दिया कि इस्लामिक बैंक खोलना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है.
केरल सरकार ने दिसंबर 2009 में इस्लामिक बैंक खोलने की योजना बनाई थी. परंतु जनवरी 2010 में जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने इसके विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. दायर याचिका में दलील दी गई थी कि इस्लामिक बैंक चूंकि एक धर्म विशेष के सिद्धांतों पर काम करेगा, इसलिए यह संविधान में वर्णित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है. याचिका दायर होने के बाद केरल उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश जारी करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक, वित्त मंत्रालय और केरल राज्य औद्योगिक संवर्धन निगम को नोटिस दिया था. भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटिस के जवाब में कहा था कि मौजूदा वित्तीय नियमों के अनुसार ऐसा बैंक नहीं खोला जा सकता है.
ज्ञातव्य हो कि इस्लामिक बैंक शरीयत के कानून के अनुसार कामकाज करते हैं. ऐसे बैंक में न तो कर्ज पर ब्याज लिया जाता है और न ही जमा पर ब्याज दिया जाता है.
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