प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति(सीसीएस) ने अमरीका से 10 परिवहन विमान सी-17 खरीदने के 18000 करोड़ रुपए के समझौते को मंजूरी प्रदान की. लागत के हिसाब से दोनों देशों के बीच होने वाला यह अब तक का सबसे बड़ा रक्षा समझौता है. इसकी मंजूरी 6 जून 2011 को दी गई. यह सौदा वर्ष 2010 के अंत में अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत यात्रा के दौरान किया गया था.
भारतीय रक्षा मंत्रालय की नई नीति के तहत सी-17 बनाने वाली अमरीकी बोइंग कंपनी को अनुबंध का 30 प्रतिशत राशि भारत में रक्षा सुविधाएं लगाने के लिए निवेश करना होगा. यह सौदा अमेरिका के फारेन मिलिट्री सेल्स प्रोग्राम के तहत हुआ. फारेन मिलिट्री सेल्स प्रोग्राम के तहत भारत को वही कीमत अदा करनी है जिस कीमत पर बोइंग कंपनी ने अमेरिकी वायुसेना को इसकी आपूर्ति की है. इस विमान के लिए बोइंग कंपनी से औपचारिक समझौता होने के तीन वर्ष बाद भारतीय वायुसेना को ये विमान मिलने शुरू होंगें.
चार इंजन की क्षमता वाला सी-17 माल वाहक विमान दो टी-90 तोप और अन्य कई तोपों के साथ 130 जवानों को उनके ठिकानों तक पहुंचाने में दुनिया का सबसे सक्षम विमान है. यह छोटे रनवे से उड़ान भरने और अधकचरी विमान पट्टी पर उतरने में सक्षम है. इसे आधे घंटे के अंदर विभिन्न कार्यों के लिए तब्दील किया जा सकता है और इसमें बना-बनाया विशाल अस्पताल भी ले जाकर कहीं भी स्थापित किया जा सकता है.
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