भारत ने स्वदेश में निर्मित सतह से सतह पर मार करने वाली और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण 15 सितम्बर 2013 को किया. पांच हजार किलोमीटर तक मार करने की क्षमता वाली इस मिसाइल का सफल प्रक्षेपण ओडिशा स्थित व्हिलर द्वीप के प्रक्षेपण क्षेत्र से किया गया. अग्नि-5 का यह दूसरा प्रायोगिकपरीक्षण था. इस मिसातीन चरणों के रॉकेट मोटर्स की सहायता से दागी गई मिसाइल का प्रक्षेपण पूरी तरह सफल रहा.
इसका पहला सफल परीक्षण पिछले वर्ष 19 अप्रैल 2013 को किया गया था. वर्ष 2015 में सेना में शामिल करने से पहले वर्ष 2014 के अंत तक अग्नि-5 के कम से कम दो और परीक्षण होने की संभावना है.
अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 की विशेषताएं
• यह मिसाइल पूरे एशिया तथा यूरोप के कई हिस्सों में अपने किसी भी लक्ष्य पर सटीक निशाना साध सकती है.
• सत्रह मीटर लंबी और दो मीटर मोटाई वाली लगभग 50 टन वजन की यह मिसाइल अपने साथ एक टन से अधिक वजन के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है.
• इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया.
• यह मिसाइल 1000 किलोग्राम वज़न के परमाणु हथियार को ले जाने में सक्षम है.
• अभी तक ऐसी क्षमता वाली मिसाइल केवल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों- चीन, फ्रांस, रूस, अमेरीका और ब्रिटेन के पास है.
• अग्नि-5 के कारण ही भारत परमाणु हमले की स्थिति पैदा होने पर कार्रवाई करने में सक्षम हुआ है.
• सबसे तेज़ गति की यह पहली ऐसी मिसाइल थी जिसने भूमध्य रेखा को पार किया.
• इसमें नौवहन एवं पथ-प्रदर्शन, हथियार तथा इंजन के संदर्भ में कुछ नई तकनीकों को जोड़ा गया.
विदित हो कि भारत की इंडरमीडियेट रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों में अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 शामिल हैं जिनकी रेंज क्रमश 700-800 किलोमीटर, 2000-2300 किलोमीटर और 3500 किलोमीटर है.
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