सूखा और पानी के अंधाधुंध दोहन से देश के 35 फीसदी प्रखंडों में जमीन का पानी तेजी से सूख रहा है. यहां तक कि तेजी से गिर रहे भूजल स्तर (Ground Water Level) से गंगा-यमुना का मैदानी इलाका भी गंभीर जल संकट से गुजर रहा है. मई 2011 के तीसरे सप्ताह में आई विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट के अनुसार भारत के उत्तरी राज्यों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधे से अधिक प्रखंड डार्क एरिया में तब्दील हो चुके हैं. भूजल के भारी दोहन से राजधानी दिल्ली के तीन जिले डार्क एरिया के अंतर्गत आते हैं.
मई 2011 के तीसरे सप्ताह में आई विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट यह बताया गया कि जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध जल दोहन का हाल यही रहा, तो अगले एक दशक में भारत के 60 फीसदी प्रखंड सूखे की चपेट में होंगे. राष्ट्रीय स्तर पर 5723 प्रखंडों में से 1820 प्रखंड में जल स्तर अपने निम्नतर स्तर को पार कर चुका है. उत्तरी राज्यों में हरियाणा के 65 फीसदी, पंजाब के 81 फीसदी, राजस्थान के 86 फीसदी और उत्तर प्रदेश के 30 फीसदी प्रखंडों में भूजल (Ground Water Level) का स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है.
विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने संबंधित राज्य सरकारों को तत्काल प्रभाव से जल दोहन पर पाबंदी लगाने के सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया. साथ ही जल संरक्षण न होने और लगातार दोहन के चलते 200 से अधिक प्रखंड ऐसे भी हैं, जिनके बारे में केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने संबंधित राज्य सरकारों को तत्काल प्रभाव से जल दोहन पर पाबंदी लगाने के सख्त कदम उठाने का सुझाव दिया.
ज्ञातव्य हो कि सिंचाई की 60 फीसदी जरूरत भूजल से पूरी होती है, जबकि पेयजल का 80 फीसदी भूजल इस पर निर्भर है. इसे देखते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने अंधाधुंध दोहन रोकने के उपाय भी सुझाए. इनमें सामुदायिक भूजल प्रबंधन पर ज्यादा जोर दिया गया. इसके तहत भूजल के दोहन पर रोक के साथ जल संरक्षण और संचयन के भी प्रावधान किए गए.
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