केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल किए गए हलफनामे में भारत में कुल 25 लाख पुरुष समलैंगिक और 24 लाख लोग एचआइवी संक्रमित होने का आंकड़ा दिया. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा यह आंकड़ा 13 मार्च 2012 को दिया गया.
सर्वोच्च न्यायालय ने समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के मुद्दे से संबंधित सुनवाई के तहत केंद्र सरकार से एचआइवी संक्रमण व समलैंगिक लोगों के बारे में आंकड़ा मांगा था. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ को स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से एडिशनल सॉलीसिटर जनरल मोहन जैन ने यह आंकड़ा उपलब्ध कराया.
केंद्र सरकार के अनुसार 25 लाख पुरुष समलैंगिकों में से 4 लाख समलैंगिक पुरुष एचआइवी के गंभीर खतरे की जद में हैं. साथ ही इनमें से 28 हजार से 31 हजार पुरुष समलैंगिक एचआइवी संक्रमित हो सकते हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार महाराष्ट्र में 99,533 पुरुष समलैंगिक गंभीर खतरे की जद में हैं, जबकि दिल्ली में इनकी संख्या 28,999 है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार एचआइवी संक्रमित 24 लाख लोगों में से 20 लाख वयस्क (15 से 49 वर्ष), 3 लाख बुजुर्ग (49 वर्ष से अधिक) और 1 लाख बच्चे (15 वर्ष से कम आयु के) हैं. आंकड़ों के साथ यह भी बताया गया कि 85 फीसदी एचआइवी/एड्स शारीरिक संबंधों के जरिए फैलता है बाकी संक्रमित सुई के इस्तेमाल, संक्रमित मां की संतान आदि से होता है. शारीरिक संबंधों को दो श्रेणी में बांटा गया है - पहला महिला सेक्स वर्कर और दूसरा पुरुष समलैंगिकों का आपस में संबंध बनाना. ज्ञातव्य हो कि पुरुष समलैंगिकों में किन्नर भी शामिल हैं.
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