भारतीय टेलीकॉम नियामक संस्था (ट्राई) ने 8 फरवरी 2016 को नेट न्यूट्रैलिटी का समर्थन करते हुए दूरसंचार कंपनियों पर डाटा शुल्क की दरों में किसी प्रकार का भेदभाव करने पर रोक लगा दी. ट्राई ने इस बारे में 'प्रोहिबिशन ऑफ डिस्क्रिमिनेटरी टैरिफ्स फॉर डॉटा सर्विसेज रेगुलेशनस 2016' जारी किया.
मुख्य तथ्य:
• उपरोक्त निर्णय के तहत दूरसंचार कंपनियों द्वारा अलग-अलग शुल्क वसूलने पर ट्राई 50,000 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगा सकता है.
• इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों को अलग-अलग वेबसाइटों के लिए अलग-अलग शुल्क लेने की इजाज़त नहीं होगी.
• कई कंपनियां ग्राहकों को विशेष ऑफर देना चाहती हैं, जिस पर ट्राई ने रोक लगा दी.
• ट्राई का यह फैसला फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के फ्री बेसिक्स स्कीम के लिए झटका है, जिसमें कहा गया था कि इस स्कीम के जरिये ग्रामीण भारत के लाखों लोगों को मुफ्त में इंटरनेट सुविधा मुहैया कराई जाएगी.
विदित हो कि नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर काफी विवाद रहा है. इसका समर्थन करने वालों का तर्क है कि इंटरनेट के दायरे के बाहर रहने वाले लाखों लोगों को इससे निःशुल्क जोड़ा जा सकता है. जबकि फ्री बेसिक्स के आलोचकों का तर्क है कि फ्री बेसिक्स, नेट न्यूट्रैलिटी के सिद्धांत का उल्लंघन है.
नोट- नेट न्यूट्रैलिटी का मतलब यह है कि इंटरनेट सबके लिए समान रूप से पहुंच में हो. जिसका सभी लोग सामान्य रूप से प्रयोग कर सकें.
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