भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI: Securities and Exchange Board of India, सेबी) ने 28 जुलाई 2011 को सूचीबद्ध कंपनियों के अधिग्रहण नियम में बदलाव किया. नए अधिग्रहण नियम के अनुसार सेबी ने किसी कंपनी के अधिग्रहण से पहले उसकी 25 प्रतिशत (इससे पूर्व 15 प्रतिशत न्यूनतम इक्विटी खरीद था) इक्विटी खरीदना अनिवार्य कर दिया.
ज्ञातव्य हो कि इससे पहले कंपनियां 15 प्रतिशत इक्विटी खरीदकर न्यूनतम 20 प्रतिशत इक्विटी का खुली पेशकश (ओपन ऑफर) ला सकती थीं. परंतु भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI: Securities and Exchange Board of India, सेबी) द्वारा बनाए नए नियमों के अनुसार अधिग्रहण करने वाली कंपनी को न्यूनतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिए ओपन ऑफर लाना अनिवार्य बना दिया गया.
सेबी द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों के अधिग्रहण नियम में बदलाव के उपरांत नए नियमों के तहत अधिग्रहणकर्ता कंपनी पर गैर-प्रतिस्पर्धा शुल्क की व्यवस्था को भी खत्म कर दिया गया. सेबी की अच्युतन समिति की सिफारिशों में कहा गया था कि जिस कंपनी का अधिग्रहण हो रहा है, उसके प्रमोटरों द्वारा अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचने की स्थिति में कंपनी के सभी आम शेयरधारकों को उसके शेयर बेचकर बाहर निकलने का मौका मिलना चाहिए.
साथ ही सेबी ने निवेशकों की सुविधा हेतु वित्तीय बाजार के लिए एकल केवाईसी फॉर्म (KYC: Know Your Customer) के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी. सेबी ने इसके लिए विशिष्ट पहचान संख्या आधार को अपनाने का फैसला किया. इसके तहत पंजीकृत वित्तीय बाजार के सभी मध्यस्थों के लिए एकल केवाईसी की सुविधा दी गई. निवेशक को अब मात्र एक बार ही केवाईसी नियम के तहत अपना पंजीकरण कराना होगा. इसके बाद उसे ब्रोकरों के पास या डीमैट खाता खोलने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बार-बार केवाईसी की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI: Securities and Exchange Board of India, सेबी) ने आइपीओ (IPO: Initial Public Offer) के लिए नया, छोटा और सरल फार्म जारी करने का भी फैसला किया. इसका उद्येश्य पूंजी बाजार में खुदरा निवेशकों का योगदान बढ़ाना है.
सेबी ने मर्चेंट बैंकरों के लिए भी दिशानिर्देशों में संशोधन किया. इसके तहत सभी मर्चेंट बैंकरों को आइपीओ में निवेश करने वालों के पिछले रिकार्ड की जानकारी प्रकाशित करना अनिवार्य है. साथ ही म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को प्रत्येक सौदे के लिए शुल्क के रूप में सौ रुपये ज्यादा भुगतान का भी निर्णय लिया गया. सेबी ने इस संबंध में नियमों में संशोधन करते हुए म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटरों को दस हजार रुपये से अधिक के निवेश पर यह शुल्क लेने की इजाजत दी. जबकि पहली बार म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों को पचास रुपये अतिरिक्त शुल्क देने का नियम बनाया गया.
सेबी ने इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड (आइडीएफ) योजना के प्रस्ताव को भी मंजूर कर लिया. ज्ञातव्य हो कि आधारभूत ढांचा क्षेत्र में निवेश की जरूरत को देखते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने केंद्रीय बजट 2011-12 में इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड योजना की घोषणा की थी. प्रस्तावित योजन के अनुसार कोई भी म्यूचुअल फंड आइडीएफ गठित कर सकता है. शर्त यह है कि उन्हें अपने फंड का 90 प्रतिशत इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के ऋण पत्रों में निवेश करना होगा.
आइपीओ घोटाले में सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानते हुए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI: Securities and Exchange Board of India, सेबी) ने अपनी दो सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर अमल करने का भी निर्णय लिया. इस समिति ने नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) को दोषी ठहराकर उसके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी.
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