भारतीय रिजर्व बैंक ने 21 मई 2014 को बैंकों को 10 वर्षों की अवधि के लिए निर्यातकों को ऋण प्रदान करने की अनुमति प्रदान की.
भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों को दस वर्षों की अधिकतम अवधि तक लंबी अवधि के निर्यात अग्रिम प्राप्त करने के लिए केवल उन निर्यातकों को अनुमति देने की आज्ञा दी हैं जो न्यूनतम तीन वर्ष का संतोषजनक रिकार्ड रखते हैं. इसका वस्तुओं के निर्यात के लिए लंबी अवधि की आपूर्ति संविदाओं के निष्पादन के लिए उपयोग किया जाएगा.
ऋण प्राप्त करने की शर्तें
• लंदन अंतर-बैंक प्रस्तावित दर (लिबोर), जो एक वैश्विक मानदण्ड हैं पर 200 आधार अंक की ब्याज दर की सीमा, ऋण प्राप्त करने के लिए लगायी गयी हैं.
• यदि निर्यातक 100 मिलियन अमरीकी डॉलर या अधिक लेनदेन का ऋण प्राप्त करता है, तो आरबीआई को सूचित किया जाना चाहिए.
• विदेशी पक्ष या खरीदार के अनुबंध का वर्षों में निरीक्षण किया जाना चाहिए और उत्पादों की प्रकृति, राशि और अंतरण समय-सीमा को स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट करना चाहिए और गैर निष्पादन या अनुबंध रद्द करने के मामले में जुर्माना स्पष्ट हो.
• निर्यात अग्रिमों को रुपया ऋण, जिनको आरबीआई के नियमों के अनुसार गैर निष्पादित आस्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है चुकाने के लिए लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता हैं.
• निर्यातकों के पास यह यह सुनिश्चित करने के लिए की निर्धारित समयावधि की समाप्ति से पहले आदेशों को निष्पादित किया जा सकता है के लिए क्षमता, प्रणालियों और प्रक्रियाओं होना चाहिए.
• यह दिशा-निर्देश निर्यातकों को मदद करेंगे एवं लंबी अवधि के अनुबंधों को पूरा करने के लिए पूंजी के लिए प्रवाह सुनिश्चित करेंगे.

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