भारतीय रिजर्व बैंक ने समष्टि आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधियों पर अपनी रिपोर्ट जारी की

Oct 29, 2013, 09:52 IST

आरबीआई ने 28 अक्टूबर 2013 को वित्त वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही की समष्टि आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधियों पर अपनी समीक्षा रिपोर्ट जारी की.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 28 अक्टूबर 2013 को वित्त वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2013) की समष्टि आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधियों पर अपनी समीक्षा रिपोर्ट जारी की. यह रिपोर्ट 29 अक्टूबर 2013 को जारी की जाने वाली मौद्रिक नीति 2013-14 की दूसरी तिमाही समीक्षा की पृष्ठभूमि को दर्शाता है.

साथ ही, आरबीआई ने वर्तमान वित्त वर्ष हेतु आर्थिक वृद्धि की दर के अपने पूर्व अनुमान को 5.7 प्रतिशत से घटाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया और वित्त वर्ष 2014-15 हेतु आर्थिक वृद्धि की दर के अपने पूर्व अनुमान को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया.

आरबीआई की समष्टि आर्थिक एवं मौद्रिक गतिविधियों पर अपनी समीक्षा रिपोर्ट निम्नलिखित है –

आर्थिक वृद्धि
वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही (एच2) में वृद्धि में हल्के सुधार की आशा की जाती है जिसके बाद कृषि में वृद्धि और निर्यात में सुधार हो सकता है. तथापि, परियोजनाओं को रोक रखने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए वर्तमान उपायों की सहायता से राजकोषीय वर्ष के अंत में एक संपूर्ण सुधार दिखाई देने की संभावना है.

निजी उपभोग में गिरावट और निवेश में कमी के साथ समग्र मांग स्थितियां कमज़ोर बनी हुई हैं. तथापि, यदि एक अच्छा मानसून रहा और निर्यात में तेज़ी बनी रही तो इससे कुछ गति मिल सकती है. इस स्तर पर मांग प्रबंध के लिए निवेश सहायता के साथ राजकोषीय समेकन अपेक्षित है.

मुद्रास्फीति
थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति रिज़र्व बैंक के सुविधाजनक स्तर से ऊपर कायम है और यह वर्ष 2013-14 की दूसरी छमाही के दौरान वर्तमान स्तर के आस-पास सीमाबद्ध रहेगी. इसके अतिरिक्त उच्चतर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति की निरंतरता एक चिंता बनी हुई है.

अच्छे मानसून का खाद्य मुद्रास्फीति पर उत्साहजनक प्रभाव होगा लेकिन पहले से ही उच्चतर खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति से दूसरे दौर के प्रभाव अन्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर बढ़ोत्तरी का प्रभाव डाल सकते हैं.

अन्य समष्टि पहलू
बाह्य क्षेत्र जोखिम कम हुए हैं क्योंकि वर्ष 2013-14 की दूसरी तिमाही के बाद से चालू खाता घाटे में सुधार संभावित है. कारोबारी संतुलन ने किए गए नीति उपायों पर प्रतिक्रिया दिखाई है; निर्यात में तेज़ी आई है तथा स्वर्ण आयात में गिरावट हुई है.

व्यापक मुद्रा वृद्धि व्यापक रूप से रिज़र्व बैंक की सांकेतिक सीमा के अनुरूप है तथा ऋण वृद्धि, कंपनियों द्वारा बैंक वित्त की भारी सहायता के साथ बढ़ी हुई है. जबकि वित्तीय बाज़ार तेज़ हुए हैं 'धीरे-धीरे कमी' के बारण आने वाली अवधि में अनिश्चितताएं एक चिंता बनी रहेंगी.

समग्र संभावना
मौद्रिक नीति उत्साहहीन वृद्धि और कमज़ोर कारोबारी विश्वास के बीच मुद्रास्फीतिकारी प्रत्याशाओं को व्यवस्थित करने के अवांछनीय कार्य का सामना कर रही है. अत: यह महत्वपूर्ण है कि नीति कार्रवाई तैयार की जाए ताकि वृद्धि की चिंताओं का समाधान स्थिर मूल्यों के वातावरण में किया जा सके.

जारी अपवादात्मक चलनिधि उपायों के सामान्यीकरण के साथ मौद्रिक नीति का वृद्धिगत समायोजन समग्र समष्टि आर्थिक स्थिरता पर विचार करते हुए वृद्धि मुद्रास्फीति संतुलन में परिवर्तनों के द्वारा विकसित होगा. वृद्धि की सहायता के लिए उत्पादकता वृद्धि, संरचनात्मक सुधारों तथा तीव्र परियोजना कार्यान्वयन के लक्ष्य के साथ जुड़ी कार्रवाई की ज़रूरत होगी.

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