रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने 5 नवंबर, 2015 को अर्बन को आपरेटिव बैंक (यूसीबी), सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला सहकारी बैंक (डीसीबी) सहित सभी लाइसेंस धारक सहकारी बैंकों में इंटरनेट बैंकिंग हेतु संशोधित और एक समान दिशा निर्देश जारी किए.
ये इंटरनेट बैंकिंग दिशा-निर्देश बैंकों में इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से लेन-देन की सुविधा से संबंधित हैं.
इंटरनेट बैंकिंग हेतु संशोधित दिशा-निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना सभी लाइसेंस धारक बैंक एसटीसीबी, डीसीसीबी और यूसीबी कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) लागू करें और इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6 (आईपीवी6) पर कार्य करें और अपने ग्राहकों को इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा प्रदान कर सकते हैं.
यदि कोई सुविधा सिर्फ व्यूओनली (केवल देखें) के तहत दी गयी है, इसमे दो कारक प्रमाणीकरण या वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) की आवश्यकता है तो इस तरह की सेवाओं के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार उचित इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित सुरक्षा सुविधाओं व नियमों का प्रयोग कर सकते हैं.
जो सहकारी बैंक अपने ग्राहकों को यह सुविधा दे रहे हैं वे ये सुनिश्चित कर ले कि यह सुविधा केवल गैर-व्यवहार सेवाओं (नॉन ट्रांजेकसनल) जैसे बैंक खाता में रकम संबंधी जानकारी के लिए है.
जो सहकारी बैंक (एसटीसीबी/ डीसीसीबी के मामले में और नाबार्ड भी) इस सुविधा का संचालन कर रहे हैं, वे एक माह के भीतर संबंधित भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय में सेवा प्रारंभ होने की रिपोर्ट कर सूचित करे.इससे पहले 2014 में केवल अर्बन को आपरेटिव बैंक (यूसीबी) को ही अपने ग्राहकों को यह सुविधा प्रदान करने किक अनुमति दी गई थी.
ट्रांजेक्सन सुविधा के साथ इंटरनेट बैंकिंग हेतु संशोधित दिशा-निर्देश
केवल वे लाइसेंस धारक बैंक एसटीसीबी, डीसीसीबी और यूसीबी, जिन्होंने अपनी शाखाओं में सीबीएस लागू किया है और इंटरनेट प्रोटोकॉल संस्करण 6 (आईपीवी6) तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं. वे ही भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के साथ भारतीय रिजर्व बैंक के निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करते हैं तो अपने ग्राहकों को यह सुविधा प्रदान कर सकते हैं-
• क्रेडिट के जोखिम की पर्याप्तता का अनुपात (सीआरएआर) कम से कम 10 फीसदी से कम न हो.
• जिस बैंक ने पूर्व वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक 50 करोड़ रुपए या उससे अधिक मूल्य का लेन देन किया हो.
• सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) कम से कम 7% और 3% से अधिक न रही हो.
• पूर्ववर्ती वित्त वर्षों में बैंक ने लगातार पिछले चार सालों में से कम से कम तीन साल तक शुद्ध लाभ कमाया हो अर्थात बैंक मुनाफे में रही हो.
• पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) / सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) के रखरखाव में दोषी न हो.
• बैंक के बोर्ड में कम से कम दो कुशल निर्देशकों के साथ आंतरिक नियंत्रण प्रणाली मजबूत हो.
• पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान बैंक नियामक अनुपालन के लिए सम्बंधित बैंक का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए. बैंक ने भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन न किया हो और कोई मौद्रिक जुर्माना बैंक पर न लगाया गया हो.
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