भारतीय रेलवे ने 18 सितम्बर 2015 को हाइब्रिड वैक्यूम शौचालय का प्रोटोटाइप बनाये जाने की घोषणा की. यह इसलिए हाइब्रिड है क्योंकि इसका डिज़ाइन वैक्यूम शौचालय और बायोटॉयलेट दोनों जैसा है.
इसका विकास भारतीय रेलवे बोर्ड के विकास प्रकोष्ठ द्वारा किया गया है तथा विश्व के किसी भी रेल विभाग में प्रयोग किया जाने वाला यह पहला शौचालय है. वर्तमान में, यह सुविधा केवल विमानों में ही मौजूद है.
इसे दिल्ली-डिब्रूगढ़ राजधानी रेलगाड़ी में लगाया गया.
हाइब्रिड वैक्यूम शौचालय की विशेषताएं
• यह प्रोटोटाइप शौचालय के मानक प्रोटोकॉल को संशोधित करके बनाया गया है जिसमें यह फ्लश चक्र बनाने के लिए पानी को बर्बाद होने से रोकता है.
• वैक्यूम शौचालय लगे रेलगाड़ी के डिब्बों के नीचे ‘अवरोधन टैंक’ लगे होते हैं, जिसमें शौचालय से निकला सारा मानव मल एकत्रित होता है.
• जैविक निस्तारण टैंक डिब्बे के नीचे लगा होता है और इसमें अवायवीय जीवाणु होते हैं, जो मानव मल को भूमि/पटरी पर फेंकने से पहले जल और कुछ गैस में तब्दील कर देते हैं.
तकनीक का लाभ
इस नवाचार से कम से कम 1/20वें भाग जल (500 मिली लीटर) की बचत होगी. आमतौर पर पारम्परिक शौचालय या जैविक शौचालय में हर बार प्रक्षालन में 10-15 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है.
वैक्यूम शौचालय के अपशिष्ट पदार्थ को जैविक निस्तारण में परिवर्तित करने से मल निस्तारण के लिए अलग भूमि की आवश्यकता नहीं होगी और नगर निगम पर अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App


Comments
All Comments (0)
Join the conversation