25 अप्रैल 2015 को 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप के कारण नेपाल का प्रसिद्ध धरहरा टावर ढह गया. 50.5 मीटर उंचा तथा 9 मंजिला यह टावर काठमांडू में स्थित था जो भूकंप का कारण पूरी तरह से धराशायी हो गया.
काठमांडू शहर के मध्य में स्थित इस टावर में अब केवल इसका आधार ही बचा है. इसके मलबे के नीचे से लगभग 200 लोगों को निकाला गया है तथा पुलिस ने अभी और लोगों के इस मलबे में फंसे होने की आशंका जताई है.
धरहरा टावर का निर्माण 1832 में तत्कालीन प्रधानमंत्री भीमसेन थापा द्वारा करवाया गया था. यह टावर अपने सफ़ेद रंग तथा ब्रोंज़ की बनी मीनार के कारण लोगों के बीच आकर्षण का कारण थी. इसमें चोटी तक पहुचने के लिए 200 सीढियां बनायीं गयी थी. इसमें मामूली किराया लेकर पर्यटकों को टावर में जाने की अनुमति दी जाती थी.
इसका निर्माण मुग़ल एवं यूरोपियन पध्दति का मिश्रण माना जाता था. इस टावर के शीर्ष पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की गयी थी.
इतिहास
धरहरा टावर का निर्माण 19वीं शताब्दी में मुख्तियार अर्थात प्रधानमंत्री द्वारा रानी की सुरक्षा के लिए मिलिट्री वाच टावर के तौर पर किया गया था. वर्ष 1833 में आये विनाशकारी भूकंप के बावजूद यह सुरक्षित बच गया था लेकिन वर्ष 1934 के भूकंप में यह पूरी तरह धराशाई हो गया था और इसका फिर से निर्माण किया गया.
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