राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 6 अगस्त 2014 को मिजोरम के राज्यपाल के पद से डा. बेनीवाल को बर्खास्त कर दिया. मणिपुर के राज्यपाल वीके दुग्गल को नए राज्यपाल के नियुक्ति तक मिजोरम का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया. डा. कमला बेनीवाल पर राजस्थान में जमीन घोटाला और सरकारी प्लेन के निजी इस्तेमाल के आरोप हैं.
डा. कमला बेनीवाल को सबसे पहले अक्टूबर 2009 में त्रिपुरा का गवर्नर नियुक्त किया गया था. इसके एक माह बाद (नवम्बर 2009) उन्हें गुजरात का राज्यपाल बना दिया गया. मिजोरम की राज्यपाल के रूप में डा. बेनीवाल की नियुक्ति 6 जुलाई 2014 को हुई थी. उन्हें गुजरात के राज्यपाल पद से यहां हस्तानांतरित किया गया. राज्यपाल के रूप में उनका कार्यकाल अक्टूबर 2014 में समाप्त होने वाला था.
गुजरात के राज्यपाल के रूप में डा. कमला बेनीवाल से जुड़ा विवाद
गुजरात के राज्यपाल के रूप में डा. कमला बेनीवाल का गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार से काफी विवाद रहा. गुजरात में मोदी सरकार की इच्छा के विरुद्ध बेनीवाल ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरए मेहता को राज्य के लोकायुक्त के तौर पर नियुक्त किया. गुजरात सरकार राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट गई. दोनों अदालतों ने राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा. हालांकि विवादों को देखते हुए न्यायमूर्ति मेहता ने पद ग्रहण करने से इनकार कर दिया और गुजरात की मोदी सरकार को नए लोकायुक्त की नियुक्ति का मौका मिला.
इसी तरह गुजरात राज्य विधान सभा द्वारा पारित कई विधेयकों को भी बेनीवाल ने मंजूरी नहीं दी, जिसके चलते वह कानूनी शक्ल नहीं अख्तियार कर सका. इनमें स्थानीय निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक भी शामिल था.
विदित हो कि मूल रूप से राजस्थान निवासी कमला बेनीवाल कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ राजनीतिज्ञ रहीं है, वो कई बार राजस्थान की कांग्रेस पार्टी की सरकार में मंत्री पद पर रह चुकी हैं.

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