मुंबई में वर्ष 1993 के श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में मृत्युदंड प्राप्त करने वाले एकमात्र दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई 2015 को नागपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई.
मेनन को फांसी देने से दो घंटे पहले मृत्युदंड पर सुनवाई समाप्त हुई. उसकी दया याचिका को तीन जजों की बेंच जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अमित्वा रॉय तथा जस्टिस प्रफुल्ल चन्द्र पन्त ने अस्वीकार किया.
इससे पहले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तथा महाराष्ट्र के गवर्नर ने उसकी दया याचिका को 29 जुलाई 2015 को ख़ारिज कर दिया था.
याकूब मेनन पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट था, उसे 12 मार्च 1993 को हुए मुंबई बम धमाकों के लिए दोषी पाया गया. इस धमाकों में 257 लोग मारे गये थे तथा लगभग 712 लोग घायल हुए थे.
मेनन सहित 11 अभियुक्तों को 27 जुलाई 2007 को टाडा कोर्ट ने मृत्युदंड की सज़ा सुनाई थी. बाद में अन्य 10 अभियुक्तों की मृत्युदंड की सज़ा को कोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया था.
मेमन से पहले संसद पर हमला मामले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में सुबह आठ बजे फांसी दी गई थी. अफजल गुरू दिसंबर 2001 में संसद पर हमले की साजिश रचने के मामले में दोषी करार दिया गया था और उच्चतम न्यायालय ने 2004 में उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई थी.
अफजल गुरु से पहले मुम्बई पर 26/11 आतंकी हमले में एकमात्र जीवित पकड़े गए पाकिस्तानी बंदूकधारी अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 को पुणे के येरवदा केंद्रीय कारागार में फांसी दी गई थी.
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