यूरोपीय संघ (ईयू) ने 25 जुलाई 2015 को भारत की दवा अनुसंधान कंपनी जीवीके बायोसाइंसेज द्वारा निर्मित लगभग 700 जेनेरिक दवाओं के विपणन पर प्रतिबंध लगाया.
इन दवाओं को यूरोपीय संघ के 28 सदस्य देशों में प्रतिबंधित कर दिया जाएगा. यह जेनेरिक दवाओं के वितरण और बिक्री पर लगाया गया सबसे बड़ा प्रतिबंध है और यह 21 अगस्त 2015 से प्रभावी होगा.
इस प्रतिबंध के बाद 700 जेनेरिक दवाईंयों का निर्धारित तिथि के बाद यूरोपीय संघ में इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. इसके अलावा दवा कंपनियां, थोक विक्रेता और खुदरा दुकानदार इसे बेच भी नहीं पाएंगे.
इन जेनेरिक दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का कारण
यूरोपीय संघ की दवा नियामक संस्था यूरोपियन मेडिसंस एजेंसी (ईएमए) द्वारा जनवरी 2015 में इन दवाओं पर रोक लगाने की सिफारिश के बाद यह कार्रवाई की गई.
ईएमए के मुताबिक हैदराबाद स्थित जीवीके कंपनी ने इन दवाइयों के क्लीनिकल परीक्षण के फर्जी आंकड़े दिए. फ्रांसीसी मेडिसंस एजेंसी ने मई 2014 में दवा निर्माता कंपनी के हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला की जांच की थी, जिसमें क्लीनिकल परीक्षण के आंकड़ों में फर्जीवाड़े की बात सामने आई थी. नियामक एजेंसी ने ईसीजी के आंकड़ों में हेरफेर पाया था.
ईएमए के मुताबिक इनकी सुनियोजित प्रकृति, अध्ययन के लिए लिया गया लंबा वक्त और इसमें शामिल कर्मचारियों की संख्या आदि से क्लीनिकल परीक्षण की सत्यता पर संदेह हुआ था.
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