19 जनवरी 2015 को यूरोपीय संघ (EU) ने यूरोपीयन कोर्ट ऑप जस्टिस (ECJ) द्वारा हमास को उसके आधिकारिक आतंकवादी संगठन के कालीसूची से हटाने के फैसले के खिलाफ अपील करने का फैसला किया है. ईयू के विदेश नीति प्रमुख फेड्रिका मोघेरिनी ने ईयू के अन्य 28 सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों के साथ हुई बैठक में अपील करने का फैसला किया.
ईसीजे ने दिसंबर 2014 में अपने फैसले की घोषणा की थी. अमेरिका और कनाडा दोनों ने ही सूची से हमास को हटाने के कदम पर ईसीजे की कड़ी निंदा की थी और उन्होंने हमास को वापस आतंकवादी सूची में रखने का आग्रह किया था.
ईयू ने दावा किया कि यह फैसला पूरी तरह से प्रक्रियात्मक आधार पर किया गया था और कोर्ट ने बतौर आतंकवादी संगठन हमास के आकलन के लिए कुछ नहीं किया था.
इसके अलावा, हमास को सूची से हटाने के फैसले को तकनीकी का परिणाम है और यह दावा किया गया कि समूह को सूची में डालना ईयू की प्रक्रियाओँ के खिलाफ था और इसके लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं थे.
कोर्ट के मुताबिक हमास का सूची में डालना कानूनी फैसलों के विपरीत प्रेस में बड़े पैमाने पर छपे लेखों पर आधारित था.
हमास को हटाने का फैसला ईयू के आतंकवाद सूची नियम के कारण लिया गया है जिसमें आतंकवाद स्थिति के पुनर्मूल्यांकन के लिए हर छह महीने में नई सूचनाओँ की जरूरत होती है. जाहिर तौर पर हमास के डर से वर्गीकृत सूचानाओं को सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और बजाए इसके समाचार रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया.
साल 2003 में इस्राइल और अमेरिका के जोर देने पर हमास को कट्टपंथी इस्लामी आतंकी समूह के आतंकवादी सूची में डाला गया था जिसके चार्टर में इस्राइल को तबाह करना और यहूदियों के खिलाफ नरसंहार करने की बात थी.
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस के बारे में
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस (ईसीजे), यूरोपीय संघ कानून के मामलों में यूरोपीय संघ की सर्वोच्च अदालत है. कोर्ट ऑफ जस्टिस के हिस्से के तौर पर यूरोपीय संघ को ईयू कानून की व्याख्या करने और सभी ईयू सदस्य देशों के बीच इसके समान रूप से लागू किए जाने को सुनिश्तित करने का काम दिया गया है.
कोर्ट लक्समबर्ग में है.
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