प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति(Cabinet Committee on Security सीसीएस) ने राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड परियोजना को 6 जून 2011 को मंजूरी प्रदान की. इस परियोजना का उद्देश्य देश-विदेश में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों तथा कानून लागू करने वाली एजेंसियों को ठोस सूचना का आदान-प्रदान करना है. में मदद मिलेगी. नेटग्रिड के तहत विभिन्न सार्वजनिक और निजी एजेंसियों द्वारा रखे जा रहे 21 श्रेणियों के डाटाबेसों को जोड़ने की योजना है, ताकि देश की सुरक्षा एजेंसियों तक उसकी पहुंच हो सके.
नेटग्रिड को रेलवे व हवाई यात्रा, आय कर, बैंक खातों, क्रेडिट कार्ड से लेनदेन, वीसा और आव्रजन के रिकॉर्ड सहित 21 श्रेणी के डाटाबेस तक पंहुच मिलेगी. शुरूआती योजना के तहत नेटग्रिड के डाटाबेस तक 11 एजेंसियों की पंहुच होगी. इनमें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय, रिसर्च ऐंड एनालिसिस विंग और नैशनल सिक्योरिटी काउंसिल एजेंसी जैसी विभिन्न केन्द्रीय एजेंसियां शामिल है.
परियोजना की मंजूरी के पहले केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रघु रमन का कार्यकाल 1 जून 2011 से 6 महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया.
विदित हो कि मुंबई में 26 नवम्बर 2008 को हुए आतंकी हमले के बाद नेटग्रिड स्थापित करने का विचार आया था.वर्ष 2009 को परियोजना को लांच किया गया. दिसंबर 2010 में इसकी फ़ाइल बनने के बाद इस परियोजना पर विशेषकर रक्षा एवं वित्त मंत्रालयों को यह आपत्ति थी कि नेटग्रेड बनने के बाद गृह मंत्रालय उनके विभागों की गुप्त सूचनाओं को आसानी से प्राप्त कर लेगा.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation