राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 को राज्यसभा एवं लोक सभा की मंजूरी

Sep 1, 2014, 16:38 IST

राज्यसभा ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 और इससे संबंधित 121वां संविधान संशोधन विधेयक 14 अगस्त 2014 को पारित किया.

राज्यसभा ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 (The National Judicial Appointments Commission Bill 2014) और इससे संबंधित 121वां संविधान संशोधन विधेयक 14 अगस्त 2014 को पारित किया. 121वें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में 179 सदस्यों ने मतदान किया. एक सदस्य ने मतविभाजन में भाग नहीं लिया. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 को सदन ने ध्वनिमत से पारित किया. लोकसभा इस विधेयक को 13 अगस्त 2014 को ही पारित कर चुकी है.

121वें संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य न्यायपालिका में उच्च स्तर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करना है.

प्रक्रिया के अनुसार, 121वें संविधान संशोधन विधेयक को अब सभी राज्यों को भेजा जाएगा और राज्य विधायिकाओं में से 50 फीसद से इस पर मंजूरी लेनी पड़ेगी. राज्यों से मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत संविधान संशोधन विधेयक के द्वारा  राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को संवैधानिक दर्जा प्राप्त होगा अर्थात राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के होने पर यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा.

121वां संविधान संशोधन विधेयक में, संविधान के अनुच्छेद 124 (2) जो कि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति से सम्बंधित है, और अनुच्छेद 124 A, अनुच्छेद 124B, और अनुच्छेद 124C, जो कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की संरचना और कार्य से सम्बंधित है, के संशोधन का प्रवाधान है.

 

राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ विधेयक 2014 में संविधान संशोधन के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिश करने के लिए एक आयोग गठित करने का प्रावधान है. इस विधेयक में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की चयन प्रक्रिया का प्रावधान करने के साथ ही साथ इन न्यायालयों में न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने की समय-सीमा का भी प्रावधान किया गया है. इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि आयोग ऐसी सिफारिश नहीं करेगा जिस पर आयोग के किन्हीं दो सदस्यों में सहमति न हो. इसके साथ ही राष्ट्रपति जरूरत पडऩे पर आयोग को उसकी सिफारिश पर पुनर्विचार करने के लिए भी कह सकते हैं. लेकिन यदि आयोग पुनर्विचार के बाद सर्वसम्मति से फिर सिफारिश करता है तो राष्ट्रपति को उसके अनुरूप नियुक्ति करनी बाध्यकारी होगी. इसके अतिरिक्त विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया है कि आयोग उच्च न्यायालय तथा सर्चोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में नियुक्ति के मानदंड, न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया तथा शर्तें तय कर सकता है.

प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• आयोग में कुल छह सदस्य होंगे.
• भारत का प्रधान न्यायाधीश ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग’ का अध्यक्ष होगा.
• सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठ न्यायाधीश इसके सदस्य होंगे.
• भारत के केंद्रीय कानून मंत्री इसके पदेन सदस्य होंगे.
• दो प्रबुद्ध नागरिक इसके सदस्य होंगे, जिनका चयन प्रधानमंत्री, भारत के प्रधान न्यायाधीश और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष वाली तीन सदस्यीय समिति करेगी. अगर लोकसभा में नेता विपक्ष नहीं होगा तो सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता चयन समिति में होगा.
• दो प्रबुद्ध व्यक्तियों में से एक सदस्य एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक या महिला वर्ग से होगा.
• आयोग सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश पद हेतु उस व्यक्ति की नियुक्ति की सिफारिश नहीं करेगा, जिसके नाम पर आयोग के दो सदस्यों ने सहमति नही जताई होगी.
• आयोग के किसी भी कार्य या सिफारिश पर इस आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता कि आयोग का कोई पद खाली था.

 

कोलेजियम व्यवस्था से संबंधित मुख्य तथ्य
वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति एवं स्थानांतरण का निर्धारण एक कोलेजियम व्यवस्था (एक फोरम) के तहत होती है. इसमें सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सहित चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं. यह प्रक्रिया वर्ष 1998 से लागू है. इसके तहत कोलेजियम सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति की अनुसंशा करता है. यह सिफारिश विचार और स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजी जाती है. जिस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद संबंधित नियुक्ति की जाती है. इसी प्रकार उच्च न्यायालय के लिए संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कोलेजियम से सलाह मशविरे के बाद प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजते हैं. फिर देश के प्रधान न्यायाधीश के पास यह प्रस्ताव आता है. बाद में इसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के पास विचार और स्वीकृति के लिए भेजा जाता है. जिस पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद सम्बंधित नियुक्ति की जाती है.

पक्ष
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 के संदर्भ में कहा कि संविधान के तहत संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है. इसी अधिकार के तहत सरकार यह मौजूदा विधेयक लाई है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के मामले में सरकार ने सामूहिक बुद्धिमत्ता के सिद्धांत पर बल दिया है. इसमें दो प्रख्यात व्यक्तियों को इसलिए रखा गया है ताकि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल सके. सरकार ने इसमें पर्याप्त लचीलापन रखा है. हम न्यायपालिका की गरिमा का सम्मान करते हैं.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि हम इस विधेयक के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका की सर्वोच्चता को कायम करने नहीं जा रहे हैं. इस मामले में न्यायपालिका की सर्वोच्चता ही बरकरार रखी जाएगी. अरुण जेटली ने कहा कि मौजूदा कॉलिजियम व्यवस्था में न्यायपालिका की विशिष्टता हो गई है जबकि कार्यपालिका की भूमिका को बिलकुल अलग कर दिया गया है. संविधान के प्रावधानों के मुताबिक, न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार व न्यायपालिका से विचार-विमर्श कर की जाएगी. लेकिन शीर्ष अदालत ने अपने 1993 के एक निर्णय के जरिए संविधान के पुनर्लेखन का काम किया. वित्त मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के जरिए सरकार ने संविधान की मूल भावना को लागू करने का प्रयास किया है. इसके जरिए जजों की नियुक्ति को अधिक पारदर्शी बनाया जा सकेगा.
 
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि न्यायालय राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक में हस्तक्षेप नहीं कर सकता और संविधान संशोधन अब भी विधायिका के दायरे में है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014  के विरुद्ध किसी भी याचिका को स्वीकार करने का अर्थ शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन होगा, जो संविधान की अनिवार्य विशेषता है.

विपक्ष
सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील फली नरीमन ने दलील दी कि सरकार संविधान में संशोधन किए बगैर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक नहीं ला सकती. संविधान संशोधन की प्रक्रिया अभी जारी है और पूरी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि जब तक कि संविधान कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नया आयोग बनाने का समर्थन नहीं करता, इससे संबंधित विधेयक लाना और इसे पारित करना अवैधानिक है. यह विधेयक अपने मौजूदा स्वरूप में न्यायालय की स्वतंत्रता पर हमला है, जबकि यह संविधान की मौलिक संरचना है.

न्यायविदों का कहना है कि संविधान में 121वां संविधान संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक, 2014 (एनजेएसी विधेयक 2014) असंवैधानिक हैं क्योंकि ये संविधान के बुनियादी ढांचे में बदलाव करते हैं. उनका यह भी तर्क है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका को संविधान की धारा 50 के मुताबिक स्पष्ट रूप से अलग-अलग किया गया है और इससे न्याय प्रणाली को स्वतंत्र होकर कार्य करने की शक्ति मिलती है. संविधान में राज्य के नीति निर्देशक प्रावधानों के तहत यह अनुच्छेद निचली अदालतों के साथ-साथ ऊपरी अदालतों तक बराबरी से लागू होता है.

न्यायविद भट्टचार्य का कहना है कि संविधान भारत के प्रधान न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार देता है. वे तर्क देते हैं, ‘ अब यह अधिकार राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को दिया जा रहा है. आयोग में शामिल प्रधान न्यायाधीश और उनके साथ दो और न्यायाधीशों की राय को कानून मंत्री वीटो पावर के इस्तेमाल से कभी-भी नकार सकते हैं. इससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता बाधित होती है और यह संविधान की उस मूल भावना, जिसके तहत न्यायपालिका को अलग से अधिकार दिए गए हैं, के खिलाफ है.’

 

Jagranjosh
Jagranjosh

Education Desk

Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

... Read More

यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!

एग्जाम की तैयारी के लिए ऐप पर वीकली टेस्ट लें और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करें। डाउनलोड करें करेंट अफेयर्स ऐप

AndroidIOS

Trending

Latest Education News