रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अपनी इकाई मुंबई मेट्रो ट्रांसपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (एमएमटीपीएल) और महाराष्ट्र सरकार के बीच 12000 करोड़ रुपये की मुंबई मेट्रो-2 चारकोप-बांद्रा-मनखुर्द कॉरिडोर परियोजना के लिए हुए समझौता को 13 नवंबर 2014 को रद्द कर दिया.
कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गठबंधन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी निविदा के माध्यम से 3 अगस्त 2009 को रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के नेतृत्व वाले गठजोड़ को परियोजना का आवंटन किया था.
महाराष्ट्र सरकार की बैंक गारंटी (160 करोड़ ) एमएमटीपीएल को लौटाने के साथ ही सभी पक्ष (एमएमटीपीएल और महाराष्ट्र सरकार) किसी तरह की लागत या दावे के बगैर कन्सेशन एग्रीमेंट को रद्द करने पर सहमत हो गए. इस क्रम में एमएमटीपीएल और महाराष्ट्र सरकार के बीच एक समझौता हुआ है.
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आरइन्फ्रा ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से कहा, 'महाराष्ट्र सरकार/मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) द्वारा कई अहम शर्तें पूरी नहीं किए जाने के कारण परियोजना शुरू नहीं हो सकी. कंपनी ने कहा कि कन्सेशन एग्रीमेंट के निरस्त होने के साथ ही परियोजना से जुड़ी उसकी सभी प्रतिबद्धताएं/देनदारियां तत्काल प्रभाव से रद्द हो गई.
महाराष्ट्र सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद चार वर्ष बाद भी परियोजना की अनेकों बाधाओं को दूर नहीं किया जा सका.
महाराष्ट्र राज्य और एमएमटीपीएल के बीच कन्सेशन एग्रीमेंट 21 जनवरी 2010 को लागू किया गया था.
विदित हो कि मुंबई मेट्रो-2 परियोजना का शिलान्यास वर्ष 2009 में राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने किया था. हालांकि परियोजना कई विवादों, विलंब और मुकदमेबाजी के बीच फंस गई. आरइन्फ्रा परियोजना शुरू नहीं कर सकी, क्योंकि कार डिपो स्थल तटीय क्षेत्र विनियमन के दायरे में आ रहा था और पर्यावरण व वन मंत्रालय ने इस पर आपत्तियां लगा दी थीं. इसके अलावा एमएमटीपीएल को रास्ता तय करने का 100 फीसदी अधिकार देने के प्रावधान में देरी हुई.
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