रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने 24 सितंबर 2015 को उन नियमों में ढील देने की घोषणा की जिससे बैंक ऋण सुविधाओं के उन्नयन के लिए स्वामित्व के परिवर्तन पर उधार लेने वाली संस्थाओं को अनुमति प्रदान करते हैं. बशर्ते स्वामित्व सामरिक ऋण पुनर्गठन योजना के बाहर बदला गया हो.
रिज़र्व बैंक ने यह घोषणा की कि बैंक उन कंपनियों को स्टैण्डर्ड लोन दे सकते हैं जो स्वामित्व के बदलने से जूझ रहे हैं. इनमें होने वाली परेशानियां अधिकतर परिचालन या प्रबंधकीय अक्षमताओं की वजह से होती हैं.
इन नए नियमों से बैंकों को उधार लेने वाली संस्थाओं के स्वामित्व में बदलाव में सुविधा प्राप्त होगी जो पहले से ही परिचालन या प्रबंधकीय अक्षमताओं के कारण दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
आरबीआई ने यह भी घोषणा की है कि परिसंपत्ति वर्गीकरण में उन्नयन कुछ शर्तों के अधीन है.
घोषणा की अनुसार, नया प्रमोटर व्यक्ति / संस्था / सहायक / एसोसिएट (राष्ट्रीय अथवा अन्तरराष्ट्रीय) मौजूदा प्रमोटर / प्रमोटर समूह से संबंधित नहीं होना चाहिए.
नए प्रमोटर के पास उधारकर्ता कंपनी की चुकता इक्विटी पूंजी का 51 प्रतिशत होना चाहिए.
यदि नया प्रमोटर एक अनिवासी है और क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा कम से कम 51 फीसदी है, तो नये प्रमोटर को कम से कम 26 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी अथवा लागू विदेशी निवेश अथवा दोनों में से जो अधिक हो, होना चाहिए. बशर्ते बैंक नए अनिवासी प्रमोटर कंपनी के प्रबंधन एवं नियंत्रण से संतुष्ट हो.
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