रेल मंत्रालय ने 9 नवम्बर 2015 को संयुक्त राज्य अमेरिका आधारित जीई ग्लोबल सोर्सिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को अवार्ड (एलओए) पत्र जारी किया. यह कंपनी बिहार के जिला सारण स्थित मारहावरा में डीजल लोकोमोटिव फैक्टरी (डीएलएफ) की स्थापना और मेनलाइन डीजल इलेक्ट्रिक इंजनों के रखरखाव और प्रबंधन के लिए रेल मंत्रालय के साथ संयुक्त उपक्रम के रूप में कार्य करेगी.
इसी के साथ रेल मंत्रालय और जीई ग्लोबल सोर्सिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक संयुक्त उद्यम कंपनी जल्द ही मूर्त रूप ले लेगी और कारखाना में निर्माण जल्द आरम्भ हो जाएगा. कारखाना में भारतीय रेलवे के लिए 4500 अश्व शक्ति (एचपी) और 6000 अश्वशक्ति (एचपी) के आधुनिक डीजल विद्युत इंजनों का निर्माण होगा.
संयुक्त उद्यम कंपनी में रेल मंत्रालय की इक्विटी 26 प्रतिशत होगी. जो अधिकम 100 करोड़ रुपये तक हो सकती है. 1000 करोड़ रुपये की लागत से कारखाना तीन वर्ष की अवधि में स्थापित होने की उम्मीद है.
कंपनी सुनिश्चित मॉडल पर काम करेगी जिसके तहत अग्रिम 10 साल तक प्रति वर्ष 100 लोकोमोटिव इंजनों का निर्माण किया जाएगा. कंपनी इन इंजनों का 13 साल तक रख रखाव भी करेगी. इसके बाद भारतीय रेल इन इंजनों को अपनी देखरेख में ले लेगा.
पुरस्कार पत्र की मुख्य विशेषताएं
• दस वर्ष की अवधि में लगभग 1000 लोकोमोटिव इंजनों का निर्माण किया जाएगा. 1000 भाड़ा इंजनों की मूल लागत 14,656 करोड़ रुपए होगी.
• भारतीय रेल के भारी माल को ढोने और व्यापार बढाने की आवश्यकता होने पर आर्थिक और पर्यावरण की दृष्टि से 4500 अश्वशक्ति और 6000 अश्वशक्ति (एचपी) के इंजनों को 9000 और 12000 अश्वशक्ति की इकाइयों पर संचालित किया जा सकता है.
• ये आधुनिक शक्तिशाली इंजन भारी माल ढोने व परिचालन बढाने के लिए उपयोगी होंगे और आगामी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए मेगा माल परिचालन में भी मुख्या भूमिका निभाएंगे.
• ये इंजन भारतीय रेल के लिए ईंधन की लागत में भी बचत करेगा.
• ये इंजन नवीनतम तकनीक इलेक्ट्रॉनिक ईंधन इंजेक्शन प्रणाली, मोटर चालित ब्लोअर और कम्प्रेसर, रेमोल्ट (REMMLOT) प्रणाली, नवीनतम मानकों के अनुसार ध्वनि प्रदूषण मुक्त तकनीकी से लैस हैं.
• इस फैक्ट्री से आसपास के क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा और विकास होगा और सहायक उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा.
भारतीय रेलवे के लिए 4500 और 6000 अश्वशक्ति के आधुनिक डीजल विद्युत इंजनों के निर्माण और आपूर्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोली के माध्यम से संयुक्त उद्यम साझेदार के चयन के लिए इस परियोजना की वर्ष 2006-07 में घोषणा की गई थी.
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