उत्तर प्रदेश सरकार ने 23 जून 2015 को लखनऊ प्राणी उद्यान (लखनऊ चिड़ियाघर) का नाम नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, लखनऊ करने का निर्णय किया.
शाह अवध के आखिरी नवाब थे. वर्ष 1856 में अंग्रेजों ने अवध प्रांत पर कब्जा कर लिया था. नवाब वाजिद अली शाह को अवध से निर्वासित कर बंगाल के मटियाबुर्ज भेज दिया गया.
लखनऊ प्राणि उद्यान की स्थापना वर्ष 1921 में की गई थी. इंग्लैण्ड के राजकुमार प्रिंस ऑफ वेल्स के लखनऊ आगमन के अवसर पर इसका नाम प्रिंस ऑफ वेल्स जूलोजिकल गार्डन रखा गया था. 4 जून 2001 को इसका नाम परिवर्तित कर लखनऊ प्राणि उद्यान किया गया.
आजादी के बाद से यह पहली घटना है जिसमें किसी स्मारक का नाम अवध या अवध के नवाब के नाम पर रखा गया.
दूसरी ओर राज्य सरकार ने क्रांतिकारी शहीद चन्द्रशेखर आजाद के नाम पर नवाबगंज पक्षी विहार का नाम परिवर्तित कर ‘शहीद चन्द्रशेखर आजाद पक्षी विहार, नवाबगंज’ उन्नाव रखने का निर्णय लिया.
शहीद चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जनपद के भवरा ग्राम में हुआ था. परन्तु उनके पिता सीताराम तिवारी जनपद उन्नाव के बदरका ग्राम के मूल निवासी थे. जनपद उन्नाव से पैतृक सबंध होने के आधार पर नवाबगंज पक्षी विहार का नाम परिवर्तित करते हुए ‘शहीद चन्द्रशेखर आजाद पक्षी विहार, नवाबगंज’ उन्नाव रखा गया.
चिड़ियाघर और पक्षी अभयारण्य का नाम बदलने का निर्णय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में सम्पन्न कैबिनेट बैठक में लिया गया.
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