15 दिसंबर 2014 को लोकसभा ने सार्वजनिक परिसर संशोधन विधेयक 2014 पारित किया.
यह विधेयक सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत रहने वालों की बेदखली) अधिनियम 1971 में संशोधन करने के लिए पारित किया गया है.
सार्वजानिक परिसर (अनाधिकृत रहने वालों की बेदखली) संशोधन विधेयक 1971 के प्रावधान
विधेयक का उद्देश्य 1971 के अधिनियम की अनुसूची 2, 4, 5, 7 और 9 में उपयुक्त संशोधन करना है.
विधेयक सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत रहने वालों की बेदखली) को पुर्नपरिभाषित करता है, उन कंपनियों को शामिल करने के लिए जिनकी पेड अप साझा पूंजी का 51 प्रतिशत भाग केंद्र या राज्य सरकार के अधीन है.
अनाधिकृत कब्जे के मामले में प्रधान न्यायाधीश द्वारा साल 2013 में दिए गए 20 सुझावों में से 18 को इस विधेयक में शामिल किया गया है.
यह विधेयक दिल्ली मेट्रो रेल निगम और अन्य मेट्रो रेल की संपत्तियों को नई दिल्ली नगर निगम की संपत्ति के रूप में भविष्य में लाने की कोशिश करेगा.
सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत रहने वालों की बेदखली) अधिनियम 1971
सार्वजनिक परिसर (अनाधिकृत रहने वालों की बेदखली) अधिनियम 1971 सार्वजनिक परिसरों या क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बेदखल करने में अधिक प्रभावी साबित नहीं हो रहा था. पूर्व में इस अधिनियम में तीन बार 1980, 1984 और 1994 में संशोधन हो चुके हैं.
चैथा संशोधन विधेयक, सार्वजनिक परिसर विधेयक 2011 में लोकसभा में नवंबर 2011 को पेश किया गया था. यह विधेयक शहरी विकास के लिए संसदीय समिति ( पीएससी ) को प्रेषित किया गया था.
समिति ने अपनी रिपोर्ट में विधेयक के संबंध में कुछ आकलन और अनुशंसाएं की. प्रधान न्यायालय ने जुलाई 2013 में एक मामले में सार्वजनिक परिसर में फैले अवैध कब्जों को हटाने के लिए 20 सुझाव दिए. 15वीं लोकसभा में चर्चा के दौरान सार्वजनिक परिसर विधेयक 2011 को समाप्त कर दिया गया .
Comments
All Comments (0)
Join the conversation