मेघालय उच्च न्यायालय ने शिलांग में अपने एक निर्णय में 15 मई 2014 को कहा की ऐसे बांग्लादेश के नागरिक, जो भारत में 24 मार्च 1971 से पहले बस गए थे, उनको भारतीय माना जाना चाहिए. न्यायालय ने उनको मतदाता सूची में नामांकित करने के आदेश दिए हैं.
न्यायमूर्ति सुदीप रंजन सेन ने बांग्लादेश से 40 शरणार्थियों की ओर से दायर एक याचिका के आधार पर यह निर्णय दिया. इन याचिकाकर्ताओं को जिला प्रशासन ने यह कहते हुए मतदाता सूची में पंजीकरण से वंचित कर दिया कि उनकी नागरिकता संदिग्ध है.
मेघालय में रि-भोई जिले में असम मेघालय सीमा के समीप आमजोंग गांव के निवासियों के नागरिकता प्रमाणपत्र जिला उपायुक्त द्वारा जब्त किये जाने पर ये उच्च न्यायालय में गए. न्यायमूर्ति एसआर सेन ने 15 मई को अपने आदेश में जिला उपायुक्त पूजा पांडे को याचिकाकर्ताओं को प्रमाणपत्र लौटाने तथा अगले चुनाव से पहले उनके नाम मतदाता सूची में शामिल करने का निर्देश दिया. अपने फैसले में उन्होंने इससे पहले कहा कि दोनों देशों इस बात पर सहमत हैं कि किसे रहने दिया जाए और किसे बांग्लादेश वापस भेजा जाए.
न्यायमूर्ति सेन ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं के पूर्वज 24 मार्च, 1971 के बहुत पहले भारत में आ गए थे. ऐसे में उन्हें इस स्थिति में वापस भेजने का सवाल ही नहीं है जबकि उन्होंने स्थाई पुनर्वास का अधिकार प्राप्त कर लिए हैं. न्यायालय ने भी उन्हें उचित पुनर्वास उपलब्ध कराने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को निर्देश दिया है.
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