भारत सरकार ने वर्ष 2014 के अप्रैल और मई महीने में कच्ची चीनी की खेप पर 3300 रूपए प्रति टन की निर्यात सब्सिडी जारी रखने का निर्णय 20 अप्रैल 2014 को लिया.
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने फरवरी 2014 में दो वर्ष तक 40 लाख टन कच्ची चीनी के निर्यात पर प्रोत्साहन देने को मंजूरी दी थी. इसका उद्देश्य गन्ना किसानों की बकाया राशि के भुगतान के लिए नकदी संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को सहायता पहुंचना था.
वर्ष 2014 के फरवरी और मार्च महीने के लिए 3300 रूपए की निर्यात सब्सिडी तय की गई थी.
सीसीईए ने हर दो महीने पर सब्सिडी की मात्रा की समीक्षा करने का फैसला किया था जो रूपए-डालर की विनिमय दर पर निर्भर करेगा.
केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने अप्रैल 2014 के प्रथम सप्ताह में सब्सिडी की मात्रा की समीक्षा की थी और अप्रैल-मई की अवधि के लिए भी इसे 3300 रूपए पर बनाए रखने का फैसला किया.
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) द्वारा जारी आंकड़ों में वर्ष 2014 के अप्रैल-मई के दौरान 400000 टन चीनी के निर्यात की संभावना व्यक्त की गई है.
आंकड़ों के अनुसार विपणन वर्ष 2013-14 (विपणन वर्ष अक्टूबर से शुरू होता है) के अक्टूबर-अप्रैल माह में 14.5 लाख टन चीनी (कच्ची और रिफाइंड दोनों रूप में ही) का निर्यात किए जाने का अनुमान है. इसमें से मार्च 2014 में 350000 टन चीनी का निर्यात किया गया, जो सब्सिडी का प्रथम माह था.
इस्मा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार विपणन वर्ष 2013-14 में 15 अप्रैल तक देश का चीनी उत्पादन 4 प्रतिशत घटकर 2 करोड़ 31 लाख टन रह गया जो वर्ष 2012-13 की समान अवधि में 2 करोड़ 41.5 लाख टन था.
आंकड़ों के अनुसार देश के दो प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 में चीनी उत्पादन में गिरावट आई हैं जबकि कर्नाटक में अच्छी बरसात के कारण उत्पादन रिकार्ड स्तर पर रहा.
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा)
भारतीय चीनी मिल संघ (इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, Indian Sugar Mills Association) देश का सबसे पुराना ओद्योगिक संगठन है. इसकी स्थापना 1932 में की गई थी.
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