संयुक्त राष्ट्र ने 10 नवंबर 2015 को इटली में आधिकारिक रूप से वर्ष 2016 को अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की.
वर्ष 2015 के दिसम्बर माह में यह तब चर्चा में आया जब केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने घरेलू दलहन का उत्पादन और आत्म निर्भरता की आवश्यकता विषय पर भारत नीति द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में इसकी चर्चा की.
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री ने बताया कि इस वर्ष के अंतर्गत किसानो को बीज की नई तकनीक एवं प्रसार के कार्यक्रम की योजना बनाई जाएगी तथा दलहन की ज्यादा पैदावार देने वाले बीजों की प्रजातियों के शोध पर भी अधिक ध्यान दिया जाएगा.
विदित हो भारत दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता तथा आयातक है. भारत में दलहन का उत्पादन वर्ष 2014-15 में 17.20 मिलियन टन था.
सरकार ने देश में दलहन के उत्पादन के बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) परियोजना के अंतर्गत कई कदम उठाए है जैसे एनएफएसएम के कुल आवंटन का लगभग 50% दलहन के लिए दिया जाता है.
अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के बारे में
• वर्ष 2013 में यूएन मुख्यालय में आयोजित 68वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान वर्ष 2016 को अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई.
• संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), सरकारों, प्रासंगिक संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य सभी प्रासंगिक हितधारकों को इस वर्ष के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
• एक अग्रिणी पोषक तत्व के रूप में दलहन के महत्व को देखते हुए वर्ष 2016 को अन्तर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष के रूप में मनाए जाने का फैसला किया गया. पोषक तत्व के रूप में विकसित और विकासशील देशों के लिए इसका अपना ही महत्व है.
• इस वर्ष का उद्देश्य दलहन के महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करना है.
• इस वर्ष के आयोजन से दालों के वैश्विक उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है.
दलहन
दलहन एक वार्षिक फलीदार फसल है जिसे भोजन और चारे के रूप मिंज प्रयोग में लाया जाता है.
खाद्य और कृषि संगठन द्वारा दलहन को एक ऐसी फलीदार फसल के सूखे अनाज के रूप में परिभाषित किया गया है अतः यह तेल निष्कर्षण वाली फसलों और सब्जियों से भिन्न है.
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