सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया के कार्यकाल(वर्ष 2004 से 2008 ) के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए अशोक गहलोत सरकार द्वारा गठित एनएन माथुर आयोग को अवैध करार दिया, तथा कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जांच राज्य के लोकायुक्त से कराने का निर्देश दिया. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीके जैन और न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की पीठ ने कहा कि एनएन माथुर आयोग का गठन करते समय राज्य सरकार ने उपयुक्त प्रक्रिया का पालन नहीं किया था. पीठ द्वारा यह निर्देश 11 अप्रैल 2011 को दिया गया.
विदित हो कि अशोक गहलोत सरकार ने 23 जनवरी 2009 को एनएन माथुर आयोग का गठन किया था. आयोग को वर्ष 2004 से 2008 के बीच सत्ता के दुरुपयोग, राज्य के करदाताओं को नुकसान और अनियमितता, धन के दुरुपयोग समेत भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का दायित्व सौंपा गया था. प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी. जिसमें एनएन माथुर आयोग की नियुक्ति के आदेश को अवैध करार दिया गया था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation