वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने सरकार से देश में गरीबी की वर्तमान स्थिति का वृहद स्तर पर सर्वेक्षण कराने की सिफारिश की. इस समिति ने यह सिफारिश 11 अगस्त 2013 को की.
वित्त मंत्रालय से संबद्ध वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने गरीबी के आकलन हेतु इस सर्वेक्षण के लिए योजना आयोग के साथ-साथ राज्यों के विभिन्न विभागों को भी शामिल करने का सुझाव दिया.
वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति का ने तर्क दिया कि गरीबी के मौजूदा अपुष्ट आकड़ों का कारण है कि योजना आयोग के गरीबी संबंधी मानकों में असमानताएं हैं जिससे सही अनुमान उपलब्ध नहीं हो पाते.
वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति (Parliamentary Standing Committee on Finance)
संसद में वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति उन 17 विभागीय स्थायी समितियों में से एक है जो कि अप्रैल 1993 में अस्तित्व में आईं थीं. यह केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से संबद्ध है. वित्तीय मामलों की स्थायी संसदीय समिति के अतिरिक्त जिन प्रमुख मंत्रालयों से संबंद्ध समितियां संसद में हैं उनमें प्रमुख हैं – वाणिज्य; गृह; मानव संसाधन; उद्योग; विज्ञान, तकनीक, पर्यावरण एवं वन; यातायात, संस्कृति व पर्यटन; कृषि, सूचना तकनीक; रक्षा; उर्जा, आदि. इन 17 संसदीय स्थायी समितियों में से 6 समितियां राज्य सभा तथा 11 लोक सभा से संबंधित हैं. किसी भी स्थायी संसदीयं समिति में अधिकतम 45 सदस्य होते हैं जिनमें से 30 लोक सभा के अध्यक्ष तथा 15 राज्य सभा के अध्यक्ष द्वारा चुने जाते हैं. इन समितियों के सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष होता है.
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