विशेषज्ञों की निगरानी में सुंदरबन में भागबतपुर मगरमच्छ परियोजना की शुरुआत

Jan 29, 2015, 18:18 IST

जनवरी 2015 में सुंदरबन में भागबतपुर मगरमच्छ परियोजना चर्चित रही

जनवरी 2015 में सुंदरबन में भागबतपुर मगरमच्छ परियोजना चर्चित रही. इसकी वजह थी हर्पेटोलॉजी के प्रख्यात विशेषज्ञों की मदद से उसकी नई शुरुआत.इन्होंने मगरमच्छों के संरक्षण के लिए विश्व के सर्वोत्तम तरीकों को इसमें शामिल किया.

परियोजना 1970 के दशक के मध्य में शुरु किया गया था. इसका उद्देश्य खारे पानी के मगरमच्छों जो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 प्रजाति का है, की संख्या मे वृद्धि करना था. यह परियोजना सुंदरवन में मुख्यभूमि से दूर स्थित निर्जन द्वीप लोथियन द्वीप के बगल में स्थित है.

विशेषज्ञों की सहायता की जरूरत क्यों पड़ी?

पिछले कुछ वर्षों में परियोजना के तहत खारे पानी के मगरमच्छों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं  दर्ज की गई. एकत्र किए गए अंडों में से उन अण्डों के सेने की दर में भी गिरावट देखी गई और यह 40 फीसदी रही. सेने की अनुपात में यह गिरावट उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लगाता है.

अंडे सेने के अनुपात में गिरावट का करण ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तापमान में बढ़ोतरी है. इसने मगरमच्छों में लिंगानुपात को बनाए रखने में चुनौती पैदा कर दी.

इसी वजह से परियोजना को नई शुरुआत हेतु विशेषज्ञों की मदद की जरूरत पड़ी.

परियोजना को बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों की सलाह–

सुंदरबन के वन अधिकारियों को विशेषज्ञों द्वारा सलाह दी गयी है. वे सलाह हैं

  • मगरमच्छों के अंडे कैसे एकत्र करें
  • प्रजनन में सक्षम अंडों और अक्षम अंडों की पहचान कैसे करें
  • मां के घोसले वाले सब्सट्रेट और कृत्रिम सब्सट्रेट का प्रयोग कर कैसे अंडे सेने का वातावरण बनाएं

इसके अलावा, विशेषज्ञों ने वन अधिकारियों को क्षेत्र प्रशिक्षण भी दिया. प्रशिक्षण की प्रक्रिया दिसंबर 2013 में शुरु हुई थी और पूरे एक वर्ष तक जारी रही.

परिणाम

विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी और प्रशिक्षण ने अंडों के सेने के अनुपात को बढ़ाने में मदद की, जो अब पहले के 40 के मुकाबले 70 हो गया है. इसके अलावा पिछले एक वर्ष में सुंदरबन मे करीब 75 उप– व्यस्क मगरमच्छों को छोड़ा गया है. इनमें से 50 मगरमच्छों को वन्य परिस्थितियों में उनकी स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए चिन्हित किया गया.

खारे पानी का मगरमच्छ
खारे पानी का मगरमच्छ ( वैज्ञानिक नाम क्रोकोडायलस पोरोसस) एस्टुआरिन मगरमच्छ है.यह सभी जीवित सरीसृपों में सबसे बड़ा है और विश्व में सबसे बड़ा स्थलीय एवं नदी तट शिकारी है.

ये मगरमच्छ भारत, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, पलाउ, पापुआ न्यू गिनी, फिलिपिन्स, सोलोमन द्वीप, श्रीलंका, वानुअतु और वियतनाम में पाए जाते हैं. यह माना जाता है कि यह थाइलैंड और सिंगापुर के कुछ इलाकों से विलुप्त हो चुका है.

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